सात्मीकरण का अर्थ
सात्मीकरण अथवा आत्मसात्करण एक सहयोगी सांस्कृतिक प्रक्रिया है। शाब्दिक रूप से ‘सात्मीकरण’ का अर्थ किसी गुण अथवा विशेषता को अपने में आत्मसात् कर लेना अथवा अपने व्यक्तित्व से मिला लेना होता है। समाजशास्त्रीय रूप से सात्मीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसके द्वारा एक समूह दूसरे समूह की सांस्कृतिक तथा सामाजिक विशेषताओं (जैसे-रीति रिवाज, खान-पान, वेश-भूषा, मनोवृत्तियों, विश्वासों तथा आकांक्षाओं आदि) को इस सीमा तक ग्रहण कर लेता है कि फिर दोनों समूहों में कोई स्पष्ट अन्तर नहीं रह पाता उदाहरण के लिए, भारतीय समाज में समय-समय पर विभिन्न सांस्कृतिक और प्रजातीय समूह प्रवेश करते रहे और समय व्यतीत होने के साथ ही एक समूह ने दूसरे समूह की विशेषताओं को ग्रहण कर लिया। इसके फलस्वरूप आज किसी भी प्रजातीय समूह की सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ हमें दूसरे प्रजातीय समूह से अधिक भित्र देखने को नहीं मिलतीं। हिन्दुओं तथा मुसलमानों में सात्मीकरण की यह प्रक्रिया सबसे अधिक विद्यमान रही है। इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है। कि सामाजिक एकीकरण की दिशा में समायोजन एक आरम्भिक स्तर है, जबकि सात्मीकरण अन्तिम स्तर। इसका कारण यह है कि समाज में तरह-तरह के संघर्ष उत्पन्न होने पर सबसे पहले कुछ समूह अथवा व्यक्ति एक-दूसरे से समायोजन करने का प्रयत्न करते हैं और जब काफी समय तक उनके बीच समायोजन होता रहता है तो सात्मीकरण की प्रक्रिया उत्पन्न हो जाती है। विभिन्न समाजशास्त्रियों ने इस आधार पर सात्मीकरण को अग्रांकित रूप से परिभाषित किया है
बोगार्डस के अनुसार, “सात्मीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अनेक व्यक्तियों की मनोवृत्तियाँ समान हो जाती हैं और वे एक संयुक्त समूह के रूप में विकसित हो जाते हैं।” इस परिभाषा में बोगार्डस ने मानसिक एकरूपता को सात्मीकरण की – सर्वप्रथम विशेषता के रूप में स्पष्ट किया है।
बीसेन्ज और बीसेन्ज ने लिखा है, “सात्मीकरण वह सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति तथा समूह समान भावनाओं, मूल्यों और उद्देश्यों से भाग लेते हुए दूसरे के निकट आ जाते हैं।” इस प्रकार स्पष्ट होता है कि सात्मीकरण की प्रक्रिया तभी सम्भव होती है जब विभिन्न समूहों द्वारा एक-दूसरे की भावनाओं और मूल्यों को स्वीकार करके एक समान संस्कृति के विकास में रुचि ली जाए।
पार्क तथा बर्गेस का कथन है, “सात्मीकरण संस्कृति के प्रसार की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति तथा समूह एक-दूसरे व्यक्तियों और समूहों की मनोवृत्तियों को समान रूप से ग्रहण कर लेते हैं तथा उनके अनुभव और इतिहास को स्वयं भी प्रदर्शित करके एक सामान्य सांस्कृतिक जीवन में उनके भागीदार बन जाते हैं।”
ऑगबर्न तथा निमकॉफ ने उपर्युक्त आधार पर ही सात्मीकरण को परिभाषित करते हुए कहा है, “दो या दो से अधिक समूहों के दृष्टिकोण में समानता हो जाने की प्रक्रिया को ही सात्मीकरण कहा जाता है।”
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सात्मीकरण की विशेषताएँ
- सात्मीकरण सामाजिक एकीकरण से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रक्रिया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत विभिन्न विशेषताओं वाले दो या दो से अधिक समूहों के बीच समानता स्थापित हो जाती है।
- सात्मीकरण की प्रक्रिया एक ऐसी स्थिति से सम्बन्धित है जिसमें विभिन्न पक्षों की भावनाओं, मनोवृत्तियों, व्यवहारों और उद्देश्यों में इतनी अधिक समानता उत्पन्न हो जाती है कि बाह्य रूप से उनमें कुछ भी अन्तर प्रतीत नहीं होता।
- सात्मीकरण की प्रक्रिया आन्तरिक होती है। इसका तात्पर्य है कि कभी भी सरकार अथवा किसी विशेष सत्ता के द्वारा विभिन्न समूहों को एक-दूसरे की सांस्कृतिक विशेषताओं को ग्रहण करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता, बल्कि वे अपनी इच्छा से एक-दूसरे की विशेषताओं को ग्रहण करते हैं।
- अन्य प्रक्रियाओं की तुलना में सात्मीकरण की प्रक्रिया बहुत स्थायी होती है। व्यक्ति एक बार जब अपनी इच्छा से दूसरे की सांस्कृतिक विशेषताओं को ग्रहण कर लेते हैं तो वही उनकी सामान्य संस्कृति बन जाती है जिसमें जल्दी कोई परिवर्तन नहीं होता।
- सांत्मीकरण एक योजनाबद्ध अथवा विचारपूर्वक स्थापित की गयी दशा नहीं है, बल्कि जब अनेक समूह एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में आते हैं और एक-दूसरे से अन्तर्क्रिया करते हैं, तब यह प्रक्रिया अनेक स्तरों के द्वारा धीरे-धीरे स्वयं विकसित हो जाती है।
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