बेबीलोन के प्रारम्भिक समाज को समझाइये |

बेबीलोन के प्रारम्भिक समाज – प्रारम्भिक बेबीलोनियन समाज अथवा प्राचीन बेबीलोनियन समाज की प्रमुख विशेषतायें निम्नवत थी-

(क) शहरी सभ्यता

बेबीलोनियन की सभ्यता शहरी सभ्यता थी वहाँ का समाज तीन वर्गों में विभक्त थी पहला उच्च वर्ग था जिसे ‘आमेलू’ कहते थे। इस वर्ग में मंत्री, पदाधिकारी, सामन्त, राजवंश, पंजारी आदि सम्मिलित थे। दूसरा मध्यम वर्ग था, जिसे ‘मशकीन’ कहते थे। इस वर्ग में व्यापारी, छोटे-छोटे, व्यवसायी और किसान आदि आते थे। तीसरा निम्न वर्ग था, जिसे ‘अरद’ कहते थे। इस वर्ग में दास आते थे। दास वर्ग अपने स्वामी की सम्पत्ति होता था। दास चार प्रकार के होते थे

  • जो दास के यहाँ पैदा होते थे।
  • कर्ज चुकाने में असमर्थ रहने पर व्यक्ति को दास बना लिया जाता था और वह दास, अपने स्वामी की सेवा करके छुटकारा पा सकता था।
  • खरीदकर बनाये गये दास एवं
  • युद्धबन्दी के रूप में बनाये गये दास

(ख) परिवार व्यवस्था

बेबीलोनिया में संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित थी। पुत्र अपने पिता का ही व्यवसाय करता था। वहाँ परिवार का कानूनी आधार एक विवाह की प्रथा थी, परन्तु कोई भी पुरुष एक या एक से अधिक पत्नियाँ भी रख सकता था। विवाह के साथ लड़की को दहेज भी दिया जाता था, उसे ‘शेरक्टि’ कहते थे। दहेज पर आजीवन लड़की का अधिकार रहता था। उसके मरने के बाद यह सम्पत्ति पुनः उसके पिता के घर वापस चली जाती थी। हम्मुराबी की विधि संहिता में विवाह, तलाक, गोद लेने की प्रथा, बच्चों का पालन-पोषण, विधवाओं के अधिकार और उत्तराधिकार के सम्बन्ध में विस्तृत नियम थे।

(ग) दास प्रथा

बेबीलोनिया में दास प्रथा समाज का मुख्य अंग थी। कर्ज न चुकाने वाले को भी दास बना लिया जाता था और वह अपने स्वामी की सेवा करके कर्ज से छुटकारा पा सकता था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार दासों की दशा शोचनीय थी। दासों के स्वामी उन पर भयंकर अत्याचार करते थे। यदि कोई दास अपराधी सिद्ध होता, तो बाजार में उसको कोड़े लगाये जाते थे प्रत्येक मालिक अपने दास के हाथ पर अपना चिन्ह अंकित करता था। युद्ध के समय प्राप्त दासों को देवालयों के निर्माण में लगा दिया जाता था। शैतान व भगोड़े दासों के कान काट लिये जाते थे। इसके विपरीत कुछ स्वामी अपने दासों को अधिकार भी देते थे। दास मेहनत करके अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति एकत्रित कर सकता था और अपना कर्जा चुकाकर दासता से मुक्त हो सकता था। यही नहीं, वह अपनी इच्छानुसार लड़की से विवाह भी कर सकता था।

हम्मुराबी की विधि संहिता के अनुसार दास अपनी बिक्री के विरुद्ध विरोध प्रकट कर सकते थे, जिसकी सुनवाई कानूनी अदालतों में होती थी। हम्मूराबी के कानूनों से दास एवं उपत्तियों की दशा में बहुत सुधार हुआ। यदि किसी व्यक्ति को अपनी उप-पनी से सन्तान हो जाती थीं, तो वह अपनी उप-पत्नी को बेच नहीं सकता था, परन्तु कुछ दिनों के लिए उसे ऋण के बदले में किसी को दे सकता था।

(घ) महिलाओं की स्थिति

बेबीलोनिया में स्वियों की दशा अनिश्चित ही थी। उनका विशेष सम्मान भी था और उन्हें नैतिकता से गिरने के लिए भी मजबूर किया जाता या वेश्यावृत्ति इतनी थी. जिन अन्य किसी समकालीन सभ्यता में नहीं थी। यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस के अनुसार इस काल में नारी का स्थान गिरा हुआ था। इसके विपरीत सेवाइन, बर्नस, वित इयूरेण्ट तथा एच.भी. बेल्स आदि इतिहासकारों का मत है कि नारी को काफी सम्मान था। वे शिक्षा प्राप्त करती थीं और सामाजिक उत्सवों में भाग लेती थीं। उनको पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे। इतना ही नहीं पूर्वक व्यापार भी कर सकती थीं। प्रशासकीय सेवाओं में भर्ती हो सकती थीं इसी समय इस युग में नाकीर को समाज में उच्च तथा प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त था।

(ङ) विवाह व्यवस्था

बेबीलोनियन समाज में विवाह के योग्य लड़कियों को अपना मनपसन्द लड़का चुनने का अधिकार था। विवाह की इच्छुक लड़कियाँ दीवार में हरे तो वह कपड़े पहनाकर बैठ जाती थीं। वहाँ पर विवाह के इच्छुक युवक उन्हें देखने आते थे। यदि किसी लड़के को कोई लड़की पसन्द आ जाती तो वह प्रस्तावस्वरूप एक सिक्का लड़की की गोद में डाल देता था। यदि उस लड़की को भी वह लड़का पसन्द आ जाता, सिक्का उठा लेती थी अन्यथा सिक्के को झोली से लुढ़का देती थीं। फिर दोनों कुछ दिन साथ व्यतीत करते थे। यदि दोनों का स्वभाव मिल जाता था, तो शादी कर लेते थे अन्यथा लड़का व लड़की फिर अपने नये साथी को चुनने के लिए स्वतंत्र थे। विवाह से पहले लड़के-लड़की का मेलजोल बुरा नहीं समझा जाता था। शादी के समय प्राप्त दहेज पर आजीवन लड़की का अधिकार रहता था। यदि कोई व्यक्ति दूसरी शादी करता, तो उसे अपनी पहली पत्नी का दहेज लौटाना पड़ता था।

हम्बुराबी के कानूनों के अनुसार पत्नी से सतीत्य की अपेक्षा की जाती थी और सतीत्व भंग होने पर कठोर दण्ड दिया जाता था। साथ ही, पति से भी अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहने एवं उसके भरण-पोषण की अपेक्षा की जाती थी। यदि कोई पति जानबूझकर, बिना पत्नी की किसी गलती के पत्नी को छोड़ देता, तो पत्नी को पुनर्विवाह करने का अधिकार था। पति के युद्ध बन्दी बनाये जाने पर भी पत्नी दूसरी शादी कर सकती थी।

बिन्दुसार का शासनकाल का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।

इस समाज में विवाहित स्त्रियों को कुछ न्याय सम्बन्धी अधिकार प्राप्त थे। वे अदालतों में गवाही दे सकती थीं और अपने दासों को बेच सकती थीं। तलाक के लिए न्यायालय में अपील करनी पड़ती थी यदि पत्नी पति के प्रति पूर्ण वफादार एवं कर्तव्यपरायण नहीं रहती थीं, तो उसे बिना किसी क्षतिपूर्ति के तलाक दिया जा सकता था परन्तु पति के दोषी होने पर तलाक की अवस्था में पत्नी को भरण-पोषण का खर्चा देना पड़ता था।

(च ) रहन सहन

यहाँ के लोग तरह-तरह के आभूषण, श्रृंगार-प्रसाधन तथा विलासिता की वस्तुओं का प्रयोग करते थे। पुरुष जूते नहीं पहनते थे। यहाँ के लोग गले में दुपट्टा और तहमद पहनते थे चमड़े की मुलायम जूतियों पहनती थीं। उच्च वर्ग की महिलाएं चेहरे पर लाली और सोने की बालपिनों का प्रयोग करती थीं। वे नाक, कान, आँख, कलाई और उँगलियों पर सोने के आभूषण पहनती थी स्त्रियों को चुस्त कपड़े पहनने का शौक था और पुरूष हाथ में धनुष लेकर घूमते थे। इस प्रकार बेबीलोनिया में उच्च वर्ग की महिलाएँ सुखी तथा विलासी जीवन व्यतीत करती थीं। मध्यम वर्ग की स्वियों सोने व चाँदी के आभूषण तथा निम्न वर्ग का स्वियों मिट्टी और सीप के आभूषण पहनती थीं।

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