Ancient History

बेबीलोन के प्रारम्भिक समाज को समझाइये |

बेबीलोन के प्रारम्भिक समाज – प्रारम्भिक बेबीलोनियन समाज अथवा प्राचीन बेबीलोनियन समाज की प्रमुख विशेषतायें निम्नवत थी- (क) शहरी सभ्यता बेबीलोनियन की सभ्यता शहरी सभ्यता थी वहाँ का समाज तीन वर्गों में विभक्त थी पहला उच्च वर्ग था जिसे ‘आमेलू’ कहते थे। इस वर्ग में मंत्री, पदाधिकारी, सामन्त, राजवंश, पंजारी आदि सम्मिलित थे। दूसरा मध्यम …

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अजातशत्रु की वैशाली विजय पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।

अजातशत्रु की वैशाली विजय – अजातशत्रु एक शासक था। अजातशत्रु ने सर्वप्रथम कोसल राज्य पर विजय प्राप्त की, तत्पश्चात् उसने वैशाली के लिच्छवि वंश पर विजय की योजना बनाई। अजातशत्रु द्वारा वैशाली के लिच्छवियों पर आक्रमण के प्रमुख कारण तीन थे। प्रथम, अजातशत्रु की माता लिच्छिवी गणराज्य के राजा चेतक की पुत्री थी, उसके दो …

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सिकन्दर के भारत पर आक्रमण के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।

सिकन्दर के भारत पर आक्रमण के प्रभाव निम्न क्षेत्रों में दिखायी पड़ता है (i) नए मार्गों की खोज इस आक्रमण का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम था भारत और यूनान के बीच विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष सम्पर्क की स्थापना सिकन्दर के अभियान से चार भिन्न-भिन्न स्थल- मार्गों और जलमार्गों के द्वार खुले। इससे यूनानी व्यापारियों और शिल्पियों …

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असीरियन व्यापार वाणिज्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

असीरियन व्यापार वाणिज्य – असीरिया के निवासी व्यापार वाणिज्य में रूचि नहीं लेते थे तथा वहाँ का श्रीमन्त वर्ग इससे घृणा करता था। कम दाम पर माल खरीद कर उसे अधिक दाम पर बेचना वे अत्यन्त गर्हित कार्य मानते थे। असीरियनों की व्यापार के प्रति इस उदसीनता का लाभ ऐरेमियनों ने उठाया तथा असीरिया का …

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मौर्य कौन थे? संक्षेप में वर्णन कीजिए।

मौर्य कौन थे? – मौर्यो की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है। जहाँ ब्राह्मण साहित्य अथवा मौर्यों को शूद्र, यूनानी साक्ष्य सामान्य कुल का तो जैन तथा बौद्ध साक्ष्य उन्हें क्षत्रिय बताते हैं। विष्णु पुराण की मध्यकालीन टीका तथा 10वीं शताब्दी की इंदिराजरचित मुद्राराक्षस की टीका से यह आशय निकलता है कि …

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असीरियन एवं बेबीलोनियन सभ्यता में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

असीरियन एवं बेबीलोनियन सभ्यता – यदि हम दोनों सभ्यताओं के विभिन्न पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन करें तो स्पष्ट होगा कि वासतव में असीरियनों ने बेबीलोनियन सभ्यता के विविध तत्वों को ग्रहण कर उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन तथा परिवर्धन कर अपनी परिस्थिति के पूर्ण अनुकूल बना लिया किन्तु इस कार्य में कहीं भी उन्होंने अपनी मौलिकता का …

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बेबीलोनियन कला एवं स्थापत्य का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

बेबीलोनियन कला – बेबीलोनियानों में सृजनात्मक शक्ति का अभाव था, अतएव नवीन सृष्टियों को कौन कहे, सुमेरियन कला एवं स्थापत्य को भी थे जीवित न रख सके इसी कारण उनकी कलात्मक उपलब्धियाँ नगण्य ही रही वास्तुकला के क्षेत्र में बेबिलोनियनों के पिछड़े होने के दो कारण थे। सुमेरियनों की भांति इन्हें सम्बन्धित साधन सुलभ नहीं …

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नन्दवंश के महत्व पर प्रकाश डालिए।

नन्दवंश के महत्व – नन्द राजाओं का शासन काल भारतीय इतिहास में कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। सामाजिक दृष्टि से यह निम्न वर्ग के उत्थान का काल माना जाता था। उनका राजनैतिक महत्व इस तथ्य में निहित था कि इस वंश के राजाओं ने उत्तर भारत में सर्वप्रथम एकछत्र शासन की स्थापना की। उन्होंने एक …

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असीरियन सभ्यता में स्त्रियों की स्थिति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

असीरियन सभ्यता में स्त्रियों की स्थिति – असीरियनों ने अपनी स्त्रियों को बेबीलोनियन स्त्रियों की भाँति अधिकार नहीं दिये थे। उनसे सम्बन्धित नियम अत्यन्त कठोर थे। जैसे गर्भपात कराने, पति पर आक्रमण करने, भ्रूण हत्या करने आदि अपराधों में उन्हें मृत्यु दण्ड दिया जाता था। विवाह के पश्चात् कन्या अपने पिता के घर पर ही …

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भारत पर दारा के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।

भारत पर दारा के आक्रमण – ईरानी शासक डेरियस या दारा प्रथम ने (522-486 ई.पू.) भारत पर आक्रमण की -योजना बनाई। उसने 519-513 ई.पू. के बीच सिन्धु- प्रदेश पर विजय प्राप्त की। हम दान एवं नक्श-ए-रुस्तम अभिलेखों से डेरियस द्वारा सिन्धु-प्रदेश पर विजय की पुष्टि होती है। हेरोडोटस भी इस विजय की पुष्टि करता है। …

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