चन्देलों का क्षेत्र जेजाकभुक्ति

चन्देलों का क्षेत्र जेजाकभुक्ति – चन्देल वंश का अभ्युदय प्रतिहार वंश के पतन के बाद हुआ था। इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में इतिहासकारों में बहुत मतभेद है। चन्देल अभिलेख में इन शासकों ने अपने आपको षि चन्द्रत्रेय का वंशज बताया है। पृथ्वीराजरासो के अनुसार चन्द्रमा और एक ब्राह्मण कन्या से इस वंश की उत्पत्ति हुई लेकिन चन्दबरदाई की कथा काल्पनिक प्रतीत होती है। अतः विद्वान इसे स्वीकार नहीं करते। रसल और डॉ. स्मिथ आदि विद्वानों का मानना है कि चन्देलों की उत्पत्ति अनार्यों से हुई है। डॉ. सीदृ बीदृ वैद्य चन्देलों को राजपूत स्वीकार करते हैं उनका तक्र है कि

  1. चन्दबरदाई के पृथ्वीराजरासो नामक ग्रन्थ में उल्लिखित 36 राजपूतों की सूची में चन्देलों का भी उल्लेख है।
  2. भाटों एवं कवियों के विवरणों, जनश्रुतियों एवं परम्पराओं आदि में चन्देलों का उल्लेख है।
  3. अनेक शिलालेखों में चन्देलों के राजपूतों के साथ वैवाहिक सम्बन्धों के विषय में लिखा गया है।

वत्सराज के राज्यकाल की विशेषताएँ बताइए।

डॉ. वैद्य के उपरोक्त तक्र अधिक युक्तिसंगत प्रतीत होते हैं। अतः चन्देलों को राजपूत मानना ही उचित है। अभिलेखों एवं जनश्रुतियों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि खजुराहो, कालिंजर, महोबा एवं अजयगढ़ चन्देलों के मूल प्रदेश थे। चन्देल राज्य को “जेजाभुक्ति” अथवा जेजाकभुक्ति कहा जाता था। चन्देल वंश के प्रारम्भिक राजा गुर्जर प्रतिहारों के सामन्त के रूप में शासन करते थे। नन्नुक चन्देलवंश का प्रथम शासक था।

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