निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य
उपरोक्त श्यों को प्राप्त करने के लिए इन केन्द्रों को अधोलिखित कार्य करने होते हैं
(1) भौतिक सुविधाओं का विकास करना
- आवश्यक परीक्षण, रजिस्टर तथा उपकरणों को पहिचानना और उनकी व्यवस्था तथा उपयोग करना।
- आवश्यक संसाधन, साज-सज्जा, मेज कुर्सी तथा उपयोगी सामग्री की व्यवस्था करना।
- आवश्यक कार्यकर्ता को विशिष्ट प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
(2) निर्देशन व परामर्श की क्रियाओं की व्यवस्था करना
- रोजगार व व्यावसायिक अवसरों सूचनाओं को एकत्रित करना और उसका प्रसार करना।
- छात्रों सम्बन्धी सूचनाओं एवं प्रदत्तों का रख-रखाव करना।
- सामूहिक निर्देशन कार्यक्रमों की व्यवस्था करना।
- कैरियर सम्मेलनों तथा एकल अध्ययनों का आयोजन करना।
- प्रत्येक सप्ताह मुक्त गृह कार्यक्रमों का आयोजन करना ।
- कैरियर कार्नर की स्थापना करना।
(3) केन्द्र का अन्य संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करना
- उद्योगों, मनोवैज्ञनिकों, नियोक्ताओं, रोजगार केन्द्रों डाक्टरों, माता-पिता, अभिभावकों पुराने छात्रों के संघों से समुचित सम्पर्क होना चाहिए।
- इन संस्थाओं तथा केन्द्रों में ऐसा सम्पर्क होना चाहिए।
परामर्शदाता की विशेषताएँ बताइये।
(4) केन्द्र के कार्यक्रमों के संचालन एवं प्रभाव का आकलन करना
- समाषिक आलेख हेतु एक प्रारूप विकसित करना जिससे प्रगति का बोध किया जा सके।
- मूल्यांकन हेतु समितियाँ बनाई जाएं।
- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की कार्यप्रणाली की समीक्षा की जाए और वार्षिक आलेख तैयार किया जाए।
- आलेख तैयार करते समय इन केन्द्रों की प्रभावशीलता का आकलन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया, रोजगार में स्थानापन तथा पाठ्यक्रमों के चयन में अर्थात बालकों के विकास पर प्रभाव का उल्लेख किया जाए।
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