कण्व वंश से आप क्या समझते हैं? कण्वों के समय की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख कीजिए।

कण्व वंश – जिस प्रकार से पुष्यमित्र शुंग ने अपने राजा वृहद्रथ की हत्या करके शुंग वंश की स्थापना की, उसी प्रकार का हल पुष्यमित्र के उत्तराधिकारियों का भी हुआ। उसके उत्तराधिकारियों को भी षड़यंत्र का शिकार होना पड़ा। यह षड़यंत्रकारी कोई और नहीं अपितु शुंग वंश का अमात्य ही था। कण्व वंश के संस्थापक वासुदेव ने शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या कर दी और एक नए वंश की स्थापना कर दी। इस प्रकार जो वंश अस्तित्व में आया वह वंश के नाम से जाना गया।

विष्णु पुराण में इस घटना का उल्लेख इस प्रकार से हुआ “विलासप्रिय शुंग वंश के राजा देवभूति को उसका अमात्य कण्व वसुदेव मारकर पृथ्वी पर शासन करेगा” हर्षचरित् के लेखक बाणभट्ट ने भी इस घटना का उल्लेख किया है। वह इस घटना का उल्लेख इस प्रकार से करता है। शुंगों के अमात्य वसुदेव ने रानी के वेष में देवभूति की दासी की पुत्री द्वारा स्त्री प्रसंग में अति आशक्त एवं कामदेव के वशीभूत देवभूति की हत्या कर दी।”

कण्व वंश भी एक ब्राह्मण राजवंश था। इस वंश के शासकों द्वारा भी ब्राह्मण धर्म को संरक्षण प्रदान किया गया। इस वंश के कुल चार शासक हुए। वंश के संस्थापक वसुदेव ने कुल नौ वर्षों तक शासन किया। इन शासकों के समय की किसी महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख नहीं मिलता। पुराण इतना उल्लेख अवश्य करते हैं कि इस वंश के शासक सत्य और न्याय के साथ शासन करेंगे तथा पड़ोसीयों को दबा कर रखेंगे।

वासुदेव के पश्चात् तीन राजा हुए भूमिमित्र, नारायण और सुशर्मा, जिन्होंने क्रमशः 14. 12 एवं 10 वर्षों तक शासन किया। इस वंश का अंतिम शासक सुशर्मा था जो आन्ध्र जातिय सिन्धुक द्वारा मार डाला गया।

कण्व वंश का राज्य 72 ई.पू. से 27 ई.पू. तक रहा। कण्व वंश के सम्राट ब्राह्मण धर्म के कट्टर अनुयायी थे। उनकी नीति ब्राह्मण पुनरुद्धार की थी।

हड़प्पा सभ्यता के उद्भव सम्बन्धी विदेशी मत पर टिप्पणी लिखिए।

कण्व वंश में चार राजा हुए। इनकी शक्ति बराबर क्षीण होती गई। अनेक छोटे-छोटे राज्य स्वतन्त्र हो गए। गणतन्त्र पुनः स्थापित हो गए। मालव, यौधेय कुणिन्द, आर्जुनायन, शिव, लिच्छवि गणराज्यों ने शक्ति बढ़ा ली विदेशी यूनानियों ने अलग देश का विशाल क्षेत्र जीत कर स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिया।

कण्व वंश के अन्तिम राजा सुशर्मा का सातवाहन वंश के सिन्धुक ने वध कर डाला और मगध को सातवाहन साम्राज्य में विलीन कर लिया।

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