संयुक्त परिवार की विशेषताएं
(i) कर्ता का सर्वोच्च स्थान-
परिवार का एक बुजुर्ग-सदस्य परिवार का कर्ता होता है। पारिवारिक मामलों में उसका निर्णय अंतिम होता है।
(ii) सम्मिलित संपत्ति-
संयुक्त परिवार में संपत्ति पर परिवार के सभी सदस्यों का सम्मिलित रूप से समान अधिकार होता है। जिसकी देख-रेख परिवार का मुखिया करता है।
(iii) सहयोगी व्यवस्था
संयुक्त परिवार में सभी सदस्य अपनी योग्यतानुसार कार्य करते और आवश्यकतानुसार अपना भाग प्राप्त करते है। पुरुष-स्त्री के बीच या बूढ़े और युवकों के बीच सम्बन्ध सहयोगात्मक होता है, सभी एक-दूसरे की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं।
(iv) एक से अधिक पीढ़ियाँ
संयुक्त परिवार में आम तौर पर तीन पीढ़ियाँ या उससे अधिक एक साथ निवास करती है जैसे-दादा-दादी, माता-पिता और बच्चे। इसी कारण संयुक्त परिवार का आकार बड़ा होता है।
(v) सामान्य पूजा एवं धार्मिक कार्यकलाप-
संयुक्त परिवार के सभी सदस्य सामान्य पितृ पूजा के कारण एक-दूसरे से बँधे रहते हैं। कुलदेवता की पूजा घर में एक विशेष स्थान पर ही की जाती है और पूजा के अवसर पर सभी सदस्य विविध कार्यकलाप में भाग लेते हैं।
(vi) सामान्य रसोई –
संयुक्त परिवार के सभी सदस्यों का भोजन एक सामान्य रसोई से ही संचालित होता है। सभी सदस्यों का भोजन संयुक्त रूप से पकता है।
सन्दर्भ समूह का अर्थ तथा विशेषताये बताइये?
(vii) सामान्य निवास-
संयुक्त परिवार के सभी सदस्य सम्मिलित रूप में एक सामान्य निवास में रहते हैं। सामान्यतः, यह निवास पूर्वजों से मिलता रहता है।