अवकाश के सदुपयोग हेतु शिक्षा की आवश्यकता बताइए।

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अवकाश के सदुपयोग के विषय में शिक्षित न होने की वजह से ज्यादातर लोग अपना अमूल्य समय बर्बाद कर देते हैं। लोग गपशप करने, ताश खेलने, घूमने-घामने, बाजार चले जाने या शतरंज जैसे खेलों में अपना घण्टों का बहुमूल्य समय खराब कर देते हैं और यदि यह न कर सके तो बैठे-बैठे या लेटे-लेटे समय बर्बाद कर देते हैं। यह अवकाश का दुरुपयोग है और यह इस बात की ओर इशारा करता है कि व्यक्ति अवकाश के सदुपयोग के सन्दर्भ में शिक्षित नहीं है। इस प्रकार न सिर्फ लोग अपना समय नष्ट करते हैं अपितु दूसरों का भी समय बर्बाद करते हैं। कॉफी हाउस या बाजारू जलपान गृहों में घण्टों एक कप चाय पीना या पान की दुकान पर सिगरेट पीना और गपशप करना वर्तमान समय में अवकाश व्यतीत करने का साधन बन गये हैं। टेलीविजन पर आजकल चैनलों की बाढ़ आ गई है जिस वजह से आज व्यक्ति सिर्फ चैनल बदलने में ही अपना अमूल्य समय बर्बाद कर देता है। अभी हाल के वर्षों में एक नया प्लेटफॉर्म ओटीटी आया है इसने भी आज की पीढ़ी का बहुमूल्य समय बर्बाद करने में काफी भूमिका निभाई है।

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सोशल मीडिय; जैसे- फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टिक टॉक, मौज,टकाटक, टिकी, ट्रेण्डो आदि ने लोगों का समय बर्बाद करने का ठेका ले लिया है जिसे देखो दिन भर इन एप्स पर अपना समय बर्बाद करते रहते हैं। अपने सभी काम को छोड़कर इन एप्स पर दिन भर व्यस्त रहते हैं। यह क्रियाएँ रचनात्मक नहीं है अपितु असामाजिक ही कही जा सकती है क्योंकि लोग इससे न सिर्फ अपना समय नष्ट करते हैं बल्कि दूसरों का समय भी नष्ट करते हैं। स्पष्ट है कि अवकाश का सदुपयोग करने के लिए शिक्षा आवश्यक है और बालक को प्रारंभ से ही समय के मूल्य का ज्ञान देना और उसके सदुपयोग की शिक्षा देनी चाहिए।

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