कोशल महाजनपद – छठी शताब्दी ई.पू. में कोशल प्रमुख महाजनपद था। कोशल जनपद वर्तमान पूर्वी उ.प्र. में पड़ता था। उसकी राजधानी श्रावस्ती थी, जिसकी पहचान उ.प्र. के गोएडा और बहराइच जिलों की सीमा पर स्थित सहेत महेत नामक स्थान से की जाती है। इस राज्य को सरयू नदी दो भागों में बांटती थी- उत्तरी कोशल और दक्षिण कोशल उत्तरी कोशल की आरम्भिक राजधानी श्रावस्ती थी। आधुनिक उत्खननों से श्रावस्ती में छठी शताब्दी ई.पू. में किसी महत्वपूर्ण बस्ती के प्रमाण नहीं मिलते, परन्तु साहित्यिक स्रोतों में इस नगर के व्यापारिक महत्व का उल्लेख है। बाद में राजधानी श्रावस्ती से हटाकर अयोध्या या साकेत में स्थापित की गई। कोशल की राजधानी के रूप में अयोध्या का मनोरम वर्णत रामायण में मिलता है। परन्तु पुरातात्विक साक्ष्य छठी शताब्दी ई.पू. के पहले यहाँ बस्तियों के प्रमाण इंगित नहीं करते। दक्षिण कोशल की राजधानी कुशावती दी। कोशल और काशी में भी राजनैतिक प्रतिस्पर्द्धा थी।
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इस संघर्ष में कोशल को विजयश्री हासिल हुई। फलतः काशी कोशल में सम्मिलित कर लिया गया। इससे कोशल की शक्ति में अत्यधिक वृद्धि हुई। महात्मा बुद्ध के समय में यहाँ का राजा प्रसेनजित था। बाद में कोशल को भी मगध साम्राज्यवाद का शिकार बनना पड़ा और अन्ततः मगध नरेश अजातशत्रु द्वारा कोशल को मगध में शामिल कर लिया गया।