शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।

शिक्षा का अर्थ-शिक्षा मानव जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। शिक्षा द्वारा ही मनुष्य सभ्य और सुसंस्कृत जाता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शिक्षा ही मनुष्य की सबसे बड़ी सहयोगी के रूप में सामने आती है।

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ-

“शिक्षा” शब्द के लिए अंग्रेजी में Education (एजुकेशन) का प्रयोग किया जाता है। Education लैटिन भाषा के तीन शब्दों Educatum (एड्केटम) Educere (एडूसीयर) और Educare (एडूकेयर) से बना है जिसका क्रमशः अर्थ है- शिक्षित कर आगे बढ़ना और बाहर निकालना। इस प्रकार शिक्षा का शाब्दिक अर्थ हुआ बालक में उपस्थित आन्तरिक गुणों तथा शक्तियों को बाहर निकालना और उनका विकास करना।

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शिक्षा का संकुचित अर्थ-

संकुचित अर्थ में शिक्षा का तात्पर्य उस शिक्षा से हैं, जो बालक को विद्यालय में प्रदान की जाती है। दूसरे शब्दों में जब बालक को पूर्व-निश्चित योजना द्वारा वयस्क वर्ग में निश्चित काल तथा निश्चित पद्धतियों द्वारा निश्चित प्रकार का ज्ञान प्रदान किया जाता है, तो उसे संकुचित शिक्षा कहते हैं। जे॰एस॰ मैकेन्जी अनुसार “संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ हमारी शक्तियों के विकास और सुधार के लिए चेतनापूर्वक किये गये प्रयासों से लिया जाता है।”

शिक्षा का व्यापक अर्थ-व्यापक अर्थ में शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य जीवन भर शिक्षा ग्रहण करता रहता है।

टी०रेमन्ट के अनुसार “शिक्षा विकास का वह क्रम है, जिससे मनुष्य अपने आपको आवश्यकतानुसार भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना लेता है।

टी०रेमन्ट

जे०एस० मैकेन्जी ने कहा है कि- “व्यापक अर्थ में शिक्षा एक सही प्रक्रिया है, जो आजीवन चलती रहती है और जीवन के प्रायः प्रत्येक अनुभव से उसके भण्डार में वृद्धि होती है। शिक्षा को जीवन का मुख्य साध्य भी कहा जाता है।”

जे०एस० मैकेन्जी

शिक्षा का विश्लेषणात्मक अर्थ-

शिक्षा के इस अर्थ के अन्तर्गत शिक्षा का अर्थ विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा तक ही सीमित नहीं है। शिक्षा का कार्यक्रम जन्म से लेकर मृत्यु तक चलता है। मानव प्रत्येक अनुभव से कुछ न कुछ सीखता ही है। उसके लिए प्रत्येक प्राणी किसी-न-किसी रूप में शिक्षक का कार्य करता है।

एडीसन के अनुसार “शिक्षा वह क्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य में निहित शक्तियों का दिग्दर्शन – होता है, जिसका ऐसा होना शिक्षा के बिना असम्भव है।”

एडीसन

जान डीवी ने शिक्षा के विश्लेषणात्मक अर्थ के अन्तर्गत उसे त्रिमुखी प्रक्रिया माना है उनके अनुसार शिक्षक और शिष्य के अतिरिक्त एक तीसरा तत्व भी है जिसे पाठ्यक्रम कहा जाता है।

शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ

विद्वानों द्वारा दो गयी शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है-

  1. सुकरात ने लिखा है कि “शिक्षा का अर्थ संसार के उन सर्वमान्य विचारों को प्रकाश में लाना है, जो प्रत्येक मनुष्य के मन में विद्यमान होते हैं।
  2. प्लेटो का कहना है कि “शिक्षा से मेरा अभिप्राय उस प्रशिक्षण से हैं, जो अच्छी आदतो द्वारा बच्चों में सद्गुणों का विकास करती है।”
  3. अरस्तू के अनुसार – “शिक्षा का अर्थ है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निर्माण करना।”
  4. रूसो का कथन है कि – “वास्तविक शिक्षा वह है, जो व्यक्ति के अन्दर से प्रस्फुटित होतीहै, यह व्यक्ति की अन्तनिर्हित शक्तियों की अभिव्यक्ति है।”
  5. काण्ट के अनुसार- “शिक्षा व्यक्ति को उस पूर्णता का विकास है, जिस पर वह पहुँच है।”
  6. पेस्टालॉजी ने लिखा है- “शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक समन्वित तथा प्रगतिशील विकास है।”
  7. फ्रॉबेल की परिभाषा है- “शिक्षा वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा बालक अपनी जन्मजात या आन्तरिक शक्तियों को प्रकट या अभिव्यक्त करता है।”
  8. हरबर्ट स्पेन्सर ने शिक्षा को इस प्रकार परिभाषित किया है- “शिक्षा का अर्थ अन्त: शक्तियों का बाह्य जीवन से समन्वय स्थापित करना है।”
  9. स्वामी विवेकानन्द के अनुसार- “मनुष्य की अन्तनिर्हित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।
  10. महात्मा गांधी के अनुसार- “शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मनुष्य के शरीर, मन एवं आत्मा के सर्वोत्तम गुणों के सर्वांगीण विकास से है।”
  11. गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा है– “सर्वोत्तम शिक्षा वह है, जो हमें केवल सूचना ही नहीं देती, वरन् सम्पूर्ण सृष्टि से हमारे जीवन का सामंजस्य स्थापित करती है।”
  12. श्री अरविन्द – “शिक्षा मानव मन एवं आत्मा की शक्तियों का निर्माण करती है। यह ज्ञान, चरित्र तथा संस्कृति का उत्कर्ष करती है।”

उपरोक्त परिभाषाओं में पेस्टालॉजी की दी गयी परिभाषा सर्वाधिक उपयुक्त और स्वीकार्य प्रतीत होती है क्योंकि शिक्षा का वास्तविक कार्य मनुष्य की जन्मजात शक्तियों की अभिव्यक्ति और उनका विकास करना ही है और शिक्षा ही के द्वारा यह पता चलता है कि मनुष्य का वास्तविक विचार और क्षमताएं क्या है।

शिक्षा की विशेषताएँ

शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है

  1. शिक्षा की प्रमुख विशेषता है कि यह एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है, जो जन्म से आरम्भ होकर मृत्यु तक चलती रहती है।
  2. शिक्षा केवल शिक्षण संस्थाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बद्ध प्रक्रिया है और यह किसी भी स्थान पर प्राप्त की जा सकती है।
  3. शिक्षा चेतन रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। इसे चलाने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं।
  4. शिक्षा विकास की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति के विभिन्न पक्ष विकसित होते हैं। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के आन्तरिक गुणों और उसकी अन्तनिर्हित क्षमताओं का प्रकटीकरण और प्रस्फुटन होता है।
  5. शिक्षा एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। यह निरन्तर प्रगति की ओर आगे बढ़ती रहती है।
  6. शिक्षा एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति में बहुमुखी बदलाव आते हैं।
  7. शिक्षा को सामान्यतः द्विमुखी प्रक्रिया माना जाता है, जिसके दो पक्ष-शिक्षक और शिक्षार्थी होते हैं। बल्कि जान डीवी के अनुसार शिक्षा द्विमुखी नहीं, वरन् त्रिमुखी प्रक्रिया है, जिसके तीन अंग शिक्षक, शिक्षार्थी के अतिरिक्त पाठ्यक्रम भी होता है।

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