पूर्ण जीवन की तैयारी के उद्देश्य शिक्षा के इस उद्देश्य को हम सर्वांगीण विकास के उद्देश्य का समानार्थी कह सकते हैं। शिक्षा को पूर्णता देने के साधन के रूप में देखने वाले शिक्षाशास्त्री हरबर्ट स्पेन्सर थे। उनका विचार था कि शिक्षा के द्वारा जीवन के सभी अंगों का विकास किया जाना चाहिए, जिससे व्यक्ति का जीवन पूर्णता की ओर अग्रसित हो। स्पेन्सर का विचार था कि- “शिक्षा को हमें पूर्ण जीवन के नियमों और ढंगों से परिचित करना चाहिए। शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य हमें जीवन के लिए इस प्रकार तैयार करना है कि हम उचित प्रकार का व्यवहार कर सकें तथा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का पूर्ण सदुपयोग कर सकें।”
हरबर्ट स्पेन्सर का विचार था कि शिक्षा के द्वारा हमारा इतना विकास अवश्य किया जाना चाहिए कि हम जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का सामना कर सकें तथा पूर्ण साहस एवं अन्तर्दृष्टि से उनका समाधान ढूंढ़े। मानव के लिए यह भी आवश्यक है कि वह विभिन्न परिस्थितियों में अपने व्यवहार को नियन्त्रित करे व उसे उचित दिशा प्रदान कर सके।