यूरोपीय पुनर्जागरण के लक्षण निम्नलिखित है ।
1- मानवता की भावना की उत्पत्ति
प्राचीन यूनानी साहित्य के सौदय तथा मौलिकता की ओर आकर्षित मानववादियों ने मध्ययुगीन व्यवस्था के विरोध में आवाज उठाई। और धार्मिक विषयों के स्थान पर विज्ञान, इतिहास, भूगोल जैसे विषयों के अध्ययन पर बल दिया।
2- कला का विकास
पूनर्जारण से पूर्व यूरोप की कला मुख्य रूप से इसाई धर्म से संबंधित थी। इस युग की कला ‘गैधिक शैली’ के नाम से जानी जाती है। अब यूरोप कला के क्षेत्र में एक अनोखी उच्चता प्राप्त कर चुका था।
3- साहित्य का विकास
इस युग में साहित्य संबंधी भी अनेक परिवर्तन हुए, क्योंकि सामान्य जनता कठिन लैटिन व यूनानी भाषाओं के स्थान पर लोक भाषाओं में लिखे गए साहित्य को अधिक सराहते थे।
4- भौगोलिक खोजें
यूरोप के नाविकों द्वारा अनेक नये स्थानों की खोज की गयी। जिससे नये भागों का पता चला।
चन्देलों की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
5- विज्ञान की प्रगति और नये आविष्कार
पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप वैज्ञानिक आविष्कार भी हुए, जिससे मानव समाज उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त हुआ।
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