यौन शिक्षा से आप क्या समझते हैं? इसका स्वरूप कैसा होना चाहिए?

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यौन शिक्षा

यौन शिक्षा से तात्पर्य केवल यौनक्रीडाओं तथा सम्बन्धों का ज्ञान करने से नहीं है, न ही यौन शिक्षा विवाह पूर्व या विवाहेत्तर यौन सम्बन्ध, यौन स्वतंत्रता, काम-कला, यौन तृप्ति, अप्राकृतिक यौन क्रियायें अथवा उन्मुक्त यौन व्यवहार का पर्याय है वरन् यौन-शिक्षा का सम्बन्ध यौन विकृतियों तथा यौन सम्बन्धी गलत, अपर्याप्त व भ्रामक जानकारी के निषेध से है। वास्तव में यौन-शिक्षा कोई नवीन कल्पना नहीं है। भारतीय संस्कृति में यौन आनन्द को स्वाभाविक ढंग से स्वीकार किया गया है। कामशास्त्र के अध्ययन से पुरुष तथा स्त्री के बीच मथुर स्थापित होता है तथा उनमें पवित्रता बनी रहती है। सामंजस्य

आत्मकथा का अर्थ स्पष्ट कीजिए ?

भारत में विगत कुछ वर्षों से शिक्षा संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को विधिवत ढंग से यौन शिक्षा (Sex Education) प्रदान किये जाने पर बहस चल रही है। यद्यपि भारतीय संस्कृति में यौन व्यवहार को मर्यादित बनाया गया है। परन्तु पश्चिमी संस्कृति ने यौन सम्बन्धों की पवित्रता पर कुठाराघात किया है।

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