यशोवर्मन चन्देल का इतिहास लिखिए।

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यशोवर्मन चन्देल का इतिहास

अपने पिता हर्ष की मृत्यु के उपरान्त यशोवर्मन सन् 925 ई. में चन्देल वंश का अथवा ‘यशोवर्मन चन्देल का इतिहास लिखिए। शासक बना। यशोवर्मन एक वीर, साहसी, योग्य और महत्वाकांक्षी शासक था। चन्देल शासक धंग के 1015 के खजुराहो अभिलेख के अनुसार यशोवर्मन ने चेदि, बंगाल, कोशल, कश्मीर, मिथिला, मालव, कुरू, गुर्जर आदि को विजित किया था लेकिन उसकी सबसे महत्वपूर्ण विजय कालिंजर की थी। सैनिक महत्व एवं चन्देल राजधानी खजुराहो से समीप होने के कारण सम्भवतः यशोवर्मन ने सर्वप्रथम कालिंजर पर अधिकार किया। यशोवर्मन ने कालिंजर राष्ट्रकूटों अथवा कलचुरियों से जीता था।

यद्यपि यशोवर्मन की विजय का वह विवरण काव्यात्मक है तथापि इतना स्पष्ट है कि उसका प्रभाव क्षेत्र हिमालय से मालवा एवं कश्मीर से बंगाल तक विस्तृत था। उसने चन्देल सत्ता को उत्तर भारत में श्रेष्ठ बना दिया। यशोवर्मन वीर होने के साथ-साथ विद्या प्रेमी राजा था। उसकी राजसभा में वाक्पति और भवभूति जैसे महान कवि विद्यमान थे। वाक्पति का गौड़वाहों प्राकृत भाषा का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।

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भवभूति महान नाटककार था, उसके तीन नाटक मालतीमाधव, महावरीचरित, उत्तररामचरित संस्कृत साहित्य की अमूल्य निधि है। कुछ विद्वानों के अनुसार यशोवर्मन ने स्वयं राजाभ्युदय नामक नाटक की रचना की थी। प्रजा उसके प्रशासन से सुखी और प्रसन्न थी। उसने खजुराहो में विष्णु मन्दिर का निर्माण किया तथा देवपाल से प्राप्त बैकुण्ठ की मूर्ति को स्थापित किया।

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