प्रभावती गुप्ता कौन थी – प्रभावती गुप्ता चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री तथा वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय की पत्नी थी। रुद्रसेन द्वितीय की मृत्यु हो जाने पर प्रभावती गुप्ता ने अपने अल्पवयस्क पुत्रों की संरक्षिका के रूप में शासन करना प्रारम्भ किया। इसके शासनकाल के दो ताम्रपत्र बड़े प्रसिद्ध है- 1. पूना ताम्रपत्र और 2. ऋद्धपुर ताम्रपत्र प्रथम ताम्रपत्र दिवाकरसेन के शासन काल के तेरहवें वर्ष उत्कीर्ण कराया गया है। इसी ताम्रपत्र में पहली बार ज्ञात हुआ कि प्रभावती चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री थी। यह आधार मिल जाने पर वाकाटकों के काल निर्धारण का कार्य सुगम हो गया।
ऋद्धपुर ताम्रपत्र दामोदरसेन (प्रवरसेन द्वितीय) के शासनकाल के उन्नीसवें वर्ष में उत्कीर्ण कराया गया था। इन दोनों ताम्रपत्रों में वाकाटक वंशावली के स्थान पर गुप्त वंशावली मिलती है। इससे अनुमान किया जा सकता है कि प्रभावती के शासन काल में वाकाटक राज्य गुप्त वंश के प्रभाव में आ गया था। सम्भवतः गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी विधवा पुत्री की सहायता के लिए अपने पदाधिकारी वाकाटक राज्य में भेजे थे। उन्होंने इन ताम्रपत्रों को लिखा है और उनमें गुप्त वंशावली का उल्लेख किया।
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यह अनुमान किया जाता है कि अल्पवयस्क राजकुमारी को शिक्षा देने के लिए चन्द्रगुप्त द्वितीय ने कालिदास को वाकाटक राज्य में भेजा था। ऐसी भी जनश्रुति है कि दामोदरसेन द्वारा लिखित सेतुबन्ध काव्य को कालिदास ने संशोधित किया था। प्रभावती गुप्ता वैष्णव थी उसने अपनी राजधानी नन्दिवर्धन के समीपस्थ रामगिरि पर प्रतिष्ठित भगवान रामचन्द्र की पादुकाओं की भक्ति की थी।