विद्यालय निर्देशन सेवाओं का संगठन
शिक्षा का उद्देश्य यक्ति का सर्वागीण विकास करना है। इस प्रक्रिया के निरन्तर शिक्षक की भूमिका का विशेष महत्व होता है। शिक्षक का प्रमुख कार्य शिक्षण करना है परन्तु मात्र शिक्षण कार्य में ही संलग्न रहकर वांछित विकास की प्रक्रिया को सम्पन्न कर पाना कठिन है। जब तक एक शिक्षक को यह ज्ञात नहीं होगा कि अधिगम व समायोजन से सम्बन्धित समस्यायें कौन सी हैं ? कौन सा छात्र इन समस्याओं के समाधान के अभाव में पीछे रह गया है तथा इस प्रकार की समस्याओं के समाधान हेतु किस प्रकार सहायता प्रदान की जा सकती है? वह अपने निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं कर सकता है।
यदि शिक्षण एवं अधिगम की प्रक्रिया का वस्तुनिष्ठ प में विशलेषण किया जाए तो हम सहजता से इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि शिक्षण से भी अधिक महत्वपूर्ण निर्देशन की प्रक्रिया है। इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं को ध्यान में रखते हुए प्रमुख स्थान दिया जाये। इसके लिये विद्यालय निर्देशन सेवा संगठन के विभिन्न पक्षों से परिचित होना आवश्यक है। प्रावधान एवं उसकी व्यावहारिक क्रियान्विति संभव है।
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