वैयक्तिक अध्ययन विधि की परिभाषा एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।

वैयक्तिक अध्ययन विधि की परिभाषा – समाजशास्त्रीय अध्ययन में विषय-वस्तु का संख्यात्मक एवं गुणात्मक आधार पर ज्ञान प्राप्त किया जाता है। गुणात्मक तथ्यों के लिए संख्यात्मक विधि प्रयुक्त होती है, जबकि विपरीत संख्या में प्रदर्शित न होने वाले तथ्यों का गुणात्मक आधार पर ही प्रयोग किया जाता है।

सामाजिक तथ्यों की जटिलता के फलस्वरूप सामाजिक घटनाओं का अध्ययन गुणात्मक आधार पर ही किया जाता है। वैसे तो सामाजिक घटनाओं का भी संख्यात्मक पद्धति के द्वारा अध्ययन किये जाने का प्रचलन भी बढ़ता जा रहा है। गुणात्मक पद्धति के द्वारा किसी व्यक्ति, संस्था, समुदाय, वर्ग अथवा घटना को एक इकाई मानकर समग्र रूप से अध्ययन करने वाली पद्धति को ही हम वैयक्तिक अध्ययन-पद्धति कहते हैं। इस प्रकार का अध्ययन सीमित क्षेत्र में विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने की एक विधि है, जिसका आधार जीवन वृत्त तथ्य संकलन है। कुछ प्रमुख समाजशास्त्रियों ने वैयक्तिक अध्ययन विधि की परिभाषा इस प्रकार की है-

  1. पी० वी० यंग – “वैयक्तिक अध्ययन किसी सामाजिक इकाई के जीवन की खोज और विवेचना करने की एक विधि है, भले ही यह इकाई एक व्यक्ति, परिवार, संस्था, सांस्कृतिक समूह या समस्त समुदाय ही क्यों न हो।”
  2. बीसेन्ज एवं बीसेन्ज-“वैयक्तिक अध्ययन गुणात्मक विश्लेषण का एक स्वरूप है, जिसमें एक व्यक्ति, परिस्थिति अथवा संस्था का अत्यन्त सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया जाता है।”

वैयक्तिक अध्ययन की प्रमुख विशेषताएँ

वैयक्तिक अध्ययन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-

  1. वैयक्तिक अध्ययन के अन्तर्गत एक या अनेक इकाइयों का अत्यन्त सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाता है।
  2. इकाई का सर्वांगीण अध्ययन किया जाता है।
  3. वैयक्तिक अध्ययन में अनुसंधानकर्ता अपने एक विशिष्ट क्षेत्र से सम्बन्धित रहता है।
  4. इकाई का गुणात्मक अध्ययन किया जाता है।

वैयक्तिक अध्ययन के प्रकार

वैयक्तिक अध्ययन की परिभाषा देते समय यह स्पष्ट किया जा चुका है कि वैयक्तिक अध्ययन के अन्तर्गत एक इकाई अथवा सामाजिक वर्ग, समुदाय, घटना आदि का अध्ययन किया जाता है। यही तथ्य वैयक्तिक अध्ययन की प्रकृति पर प्रकाश डालता है। इस प्रकार प्रकृति के आधार पर वैयक्तिक अध्ययन निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-

  1. व्यक्ति का अध्ययन एवं
  2. समुदाय का अध्ययन।

1.व्यक्ति का अध्ययन

वैयक्तिक अध्ययन में अध्ययन का केन्द्र एक व्यक्ति होता है। इसी व्यक्ति के समस्त जीवन अथवा जीवन की किसी महत्त्वपूर्ण घटना का अध्ययन किया जाता है। व्यक्ति के सम्बन्ध में अत्यन्त विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की जाती है। सूचना प्राप्त करने के लिए विविध साधनों जैसे साक्षात्कार तथा व्यक्तिगत पत्रों, डायरियों, आत्मकथा, जीवनी आदि को उपयोग में लाया जाता है।

2. समुदाय का अध्ययन

इस प्रकार वैयक्तिक अध्ययन में सामाजिक वर्ग अथवा समुदाय का सम्पूर्ण अथवा किसी एक भाग का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार के अध्ययन करने में पर्याप्त कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इसके अध्ययन में अनुसंधानकर्ता को विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है।

वैयक्तिक अध्ययन विधि की उपयोगिता

सामाजिक अनुसंधान में वैयक्तिक अध्ययन एक अत्यन्त उपयोगी पद्धति है। वैयक्तिक अध्ययन की उपयोगिता उसके निम्नलिखित गुणों के कारण होती है-

1. विस्तृत सूचनाओं की प्राप्ति

वैयक्तिक अध्ययन में इकाइयों का अत्यन्त विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है। सभी प्रकार की सूचनाओं को संग्रहीत किया जाता है। इस प्रकार इकाई से सम्बन्धित किया गया अध्ययन उसके भूत तथा वर्तमान दोनों ही कालों पर पर्याप्त प्रकाश डालता है।

2. गहन अध्ययन

अध्ययन की जाने वाली इकाई से सम्बन्धित विस्तृत सूचनाओं की प्राप्ति के लिए उसका गहन अध्ययन किया जाता है। समस्या को अत्यन्त सूक्ष्मता और गहनता पूर्वक अध्ययन करने के कारण ही बर्गेस ने वैयक्तिक अध्ययन को ‘सामाजिक सूक्ष्मदर्शक यन्त्र’ की संज्ञा प्रदान की है।

3. विभिन्न अनुसंधान प्रणाली का उपयोग

वैयक्तिक अध्ययन में विस्तारपूर्वक सूचनाएँ प्राप्त की जाती है। इन सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए अनेक विधियों का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार अनुसंधानकर्त्ता को वैयक्तिक अध्ययन करने में लगभग सभी अनुसंधान प्रणालियों का उपयोग करने का अवसर प्राप्त हो जाता है।

4. वर्गीकरण में सुविधा

वैयक्तिक अध्ययन में समूह की विभिन्न इकाइयों की विशेषता जात हो जाती है। उनकी विशेषताओं के आधार पर इकाइयों का विभिन्न वर्गों में विभाजन करना सरल हो जाता है।

5. अनुसंधान के विभिन्न साधनों का निर्माण करने में सहायक

वैयक्तिक अध्ययन में जब किसी वर्ग की इकाई का अध्ययन किया जाता है तो उसकी अनेक विशेषताओं की जानकारी हो जाती है। इन विशेषताओं के ज्ञान के आधार पर समूह का अच्छी प्रकार से अध्ययन करने के लिए अनुसूची तथा प्रश्नावली का निर्माण किया जा सकता है। इस प्रकार वैयक्तिक अध्ययन-अनुसूची तथा प्रश्नावली जैसे साधनों का निर्माण करने में भी सहायता प्रदान करता है।

6. वैध उपकल्पना का स्रोत

वैयक्तिक अध्ययन में इकाइयों का अध्ययन करके अनेक निष्कर्ष प्राप्त होते हैं। ये निष्कर्ष नयी-नयी उपकल्पनाओं के निर्माण में सहायक सिद्ध होते हैं।

7. दीर्घकालीन प्रक्रियाओं का अध्ययन

वैयक्तिक अध्ययन में दीर्घकालीन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। व्यक्ति के जीवन पर अनेक परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है; यदि कोई व्यक्ति पागल हो जाता है, तो उसके पागल होने के लिए अनेक का योगदान होता है। इसी प्रकार किसी भी सामाजिक घटना का घटित होना आकस्मिक नहीं होता है। वैयक्तिक अध्ययन- पद्धति में इस दीर्घकालीन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

8. अनुसंधान का प्रारम्भिक परीक्षण

वैयक्तिक अध्ययन को सामाजिक अनुसंधान के अन्तर्गत अनुसंधान कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व किया जाता है। इस प्रकार त्रुटियाँ दूर करने के अनेक अवसर रहते हैं। जब प्रारम्भिक स्तर में दोषों का समाधान कर दिया जाता है, तो अनुसंधानकर्ता कार्य को आरम्भ करने से पूर्व समस्या से सम्बन्धित विभिन्न वैयक्तिक विषयों का विश्लेषण करता है। इस प्रकार अनुसंधान का स्वरूप सरलतापूर्वक निर्धारित हो जाता है।

सामाजिक विभेदीकरण के स्वरूप की विवेचना कीजिए।

9. अनुसंधानकर्त्ता की ज्ञान-वृद्धि

चूँकि वैयक्तिक अध्ययन में सूचनाओं को अत्यन्त विस्तारपूर्वक संग्रहीत किया जाता है। अतः अनुसंधानकर्ता को इस कार्य के लिए बड़ा परिश्रम करना पड़ता है। समस्या से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों की विस्तृत जानकारी अनुसंधानकर्ता के ज्ञान में वृद्धि करती है।

    Leave a Comment

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Scroll to Top