Ancient History

वैदिक कालीन सिंचाई व्यवस्था पर एक निबन्ध लिखिए।

वैदिक कालीन सिंचाई व्यवस्था – वैदिक काल में सिंचाई अधिकांशतयः वर्षा पर ही निर्भर थी। ऋग्वेद के वृत्त नामक दैत्य वृष्टि रोकता था और इन्द्र पानी बरसाते थे। इन्द्र ने वृत को मार दिया था। ऋग्वेद के एक मन्त्र में दो प्रकार से प्राप्त होने वाले जल का वर्णन है- खोदे जाने से उत्पन्न होने वाला जल तथा दूसरा स्वयं नदी आदि से उत्पन्न होने वाला पानी। वर्षा के पानी के अतिरिक्त कुएँ एवं रहट, पोखर एवं कुल्या से प्राप्त करके भी सिंचाई की जाती थी।

उत्तर वैदिक काल में धर्म के स्वरूप की विवेचना कीजिए।

उत्तर वैदिक कालीन प्रन्थों में सिंचाई के कृत्रिम साधनों का वर्णन मिलता है। अथर्ववेद में नहर खोदने का उल्लेख है और नदी को गाय तथा नव-निर्मित नहर (कुल्या) को बछड़ा कहा गया है। नदी के पानी को काटकर नहर बनाने एवं नहर से पानी के पहली बार बहने के समय धार्मिक अनुष्ठान किए जाने का भी विवरण है।

    About the author

    pppatel407@gmail.com

    Leave a Comment