उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में ‘प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम’ पर टिप्पणी लिखिए।

प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में- 1991 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 13,87,60,417 रही, जो निरन्तर बढ़ रही है। यह स्थिति चिंतनीय है यहाँ अभी भी लगभग 58 प्रतिशत लोग शिक्षाविहीन हैं। इन्हें आधारभूत साक्षरता शिक्षा प्रदान की जाती है। प्रदेश सरकार इस दिशा में सचेष्ट है। वातावरण-सर्जन के लिए यहाँ प्रौढ़ शिक्षा के नारे, स्लोगन्स, प्रतीय-चिन्ह प्रदेश के सभी प्रमुख मार्गों भवनों, सार्वजनिक स्थलों आदि पर लिखे गये हैं। कार्यक्रम के तेजी से प्रचार-प्रसार हेतु दूरदर्शन, आकाशवाणी, प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं जैसे जोरदार प्रचार माध्यमों का भी सहयोग लिया जा रहा है। समय-समय पर, इनके द्वारा संबंधित लाभप्रद वार्ताएं भी प्रसारित करायी जा रही है। साक्षरता किटों के माध्यम से ‘जन साक्षरता कार्यक्रम’ को भी व्यावहारिक बनाये जाने का प्रयत्न किया जा रहा है। वर्ष 1988 से 90 के बीच विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों तथा अनेक स्वैच्छिक संस्थाओं-संगठनों के छात्र प्राध्यापक, समाज-प्रेमी शिक्षित जनों द्वारा, कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार में और सक्रियता से योगदान किया गया।

परिवार की परिभाषा लिखिये और उसके महत्व पर प्रकाश डालिये।

“जनशिक्षण निलमय’ प्रविधि प्रदर्शन, व्यावसायिक प्रशिक्षण निःशुल्क संबंधित साहित्य वितरण आदि अनेक उपयोगी योजनाओं-कार्यक्रमों द्वारा योजना को अधिक से अधिक प्रभावी बनाने का प्रयत्न किया जा रहा है। ‘साक्षरता निकेतन जैसे’ ऐसे मिशनरी संगठनों द्वारा आंचलिक भाषा-भूगोल को दृष्टि में रखते हुए ‘प्रवेशिकाएँ-तालिका चित्रादि दृश्य पाठ्य पुस्तकें एवं शिक्षण सहायक सामग्रियाँ तैयार करायी जा रही हैं। इतना ही नहीं, साक्षरता जुलूस, यो विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकनृत्य, कठपुतली प्रदर्शन, फिल्म स्लाइड्स प्रदर्शन, सम्बन्धित मेला-गोष्ठी सम्मेलनों की आयोजना आदि विविध उपाय भी किये जा रहे हैं। किन्तु इन सबके बावजूद, प्रौढ़ और जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रमों की ओर इसके असली पात्रों अर्थात् निरक्षर अल्पसाक्षर प्रौढ़ों का सही रुझान झुकाव हो नहीं पाया है। यह स्थिति, निश्चय ही क्लेशकर और आश्चर्य पैदा करने वाली है।

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