उपभोक्ताओं की शोचनीय दशा के कारण बताइये तथा उपभोक्ताओं के अधिकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।

उपभोक्ताओं की शोचनीय दशा के कारण

उपभोक्ताओं की शोचनीय दशा के कारण निम्नलिखित हैं

  1. उपभोक्ता अनेक वस्तुओं एवं उनके मूल्यों के प्रति अनमिश रहते हैं। इसके फलस्वरूप उत्पादक एवं विक्रेता, उपभोक्ता का शोषण करने लगते हैं।
  2. यद्यपि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का विकास एवं विस्तार तीव्रता से हो रहा है और उत्पादन बढ़ाकर और वितरण में सुधार लाकर निजी क्षेत्र को स्वस्थ एवं प्रभावकारी प्रतियोगिता प्रदान कर सकते हैं किन्तु सार्वजनिक क्षेत्र उपभोक्ताओं को संरक्षण देने में असफल रहा है।
  3. अशिक्षा एवं अपर्याप्त सूचना के अभाव में अधिकांश उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति अनभिश ही रहते हैं। फलतः उत्पादक उनसे अनुचित व्यवहार करने को प्रोत्साहित होते हैं।
  4. भारत में उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए अनेक अधिनियम उपलब्ध हैं किन्तु इनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सका है।
  5. कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति अपर्याप्त है। माँग की अधिकता एंव पूर्ति की कमी से अर्थव्यवस्था में असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है। उत्पादक एवं विक्रेता इसका अनुचित लाभ उठाते हैं। ये जमाखोरी, चोरबाजारी, भ्रष्टाचार व अधिक लाभ कमाने के लालच में उपभोक्ताओं का शोषण करना आरम्भ कर देते हैं।
  6. भारत में वैधानिक प्रक्रिया में अधिक समय लगता है तथा अधिक धन व्यय होता है। इसके अतिरिक्त यह प्रक्रिया जटिल भी है। इसके अतिरिक्त अधिकांश उपभोक्ता अशिक्षित है। अतः उपभोक्ता उत्पादकों एवं विक्रेताओं के विरुद्ध वैधानिक प्रक्रिया अपनाने से घबराते हैं।
  7. देश में प्रभावकारी अथवा क्रियात्मक प्रतिस्पर्धा का अभाव है। बाजार में अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति पाई जाती है। ऐसी स्थिति में विक्रता, उपभोक्ताओं का शोषण करने में सफल हो जाते हैं।

उपभोक्ताओं के अधिकार

उपभोक्ताओं के प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं

  1. चुनाव करने का अधिकार उपभोक्ता को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में से वस्तु के चुनाव करने का अधिकार प्राप्त है। प्रतियोगिता और उपभोक्ता कानून उपभोक्ताओं को समुचित संरक्षण प्रदान करते हैं तथा वस्तुओं और सेवाओं के व्यापक चयन का अवसर प्रदान करते हैं।
  2. सुनवाई किए जाने का अधिकार उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि उत्पादक एवं वितरक उनकी शिकायतों को सुनें यह एक महत्वपूर्ण अधिकार है क्योंकि इसके अभाव में अन्य अधिकार निरर्थक हैं।
  3. भौतिक वातावरण का अधिकार जो जीवन के गुणों की रक्षा तथा उनमें वृद्धि कर सके वातावरण सम्बन्धी समस्या निश्चित रूप से उपभोक्ताओं को प्रभावित करती है। वायु जल, शरीर तथा खाद्य प्रदूषण वर्तमान सामाजिक लाभों को नष्ट करते हैं।
  4. संरक्षण का अधिकार अनुचित तथा प्रतिबन्धात्मक व्यापार व्यवहार, स्वतन्त्र – प्रतियोगिता को समाप्त करके समाज के हितों की उपेक्षा करते हैं और उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से वंचित रखते हैं। अनुचित व्यापार व्यवहार हैं- भ्रामक विज्ञापन, नकली अथवा मिलावटी वस्तुओं का विक्रय, नाप-तौल में कमी, अनुचित आश्वासन, मुनाफाखोरी, जमाखोरी व कालाबाजारी आदि। इन व्यवहारों के माध्यम से व्यवसायी व्यापक रूप से उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। उपभोक्ताओं को इन शोषणों के विरुद्ध संरक्षण का अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
  5. स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के संरक्षण का अधिकार अनेक वस्तुएँ असुरक्षित होती हैं तथा उनके प्रयोग में जोखिम निर्हित होते हैं। उपभोक्ताओं को ऐसी वस्तुओं के विक्रय के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। इसके लिए यह आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को वस्तुओं के गुण, विश्वसनीयता तथा कार्य निष्पादन सम्बन्धी आश्वासन दिया जाना चाहिए।
  6. प्रतिकार किए जाने का अधिकार उपभोक्ताओं को अन्याय, हानि, अत्याचार आदि का प्रतिकार करने का अधिकार है। उपभोक्ताओं को यह आशा रहती है कि यदि दिए हुए निर्देशों के अनुसार वस्तु का प्रयोग किया जाए तो प्रत्येक वस्तु किए गए विज्ञापन के अनुरूप कार्य करेगी। ही
  7. सूचित किए जाने का अधिकार उपभोक्ता को वस्तुओं या सेवाओं के गुण, कार्य निष्पादन के स्तर उत्पाद के उत्पादनों, वस्तुओं की शुद्धता एवं ताजगीपन, वस्तु के प्रभाव तथा अन्य तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।

संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों के परीक्षण की विवेचना कीजिए।

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