जिला मंच
जिला मंच स्थापना एवं गठन सम्बन्धी प्रावधान
अधिनियम की धारा 9 एवं 10 में जिला मंच के गठन के बारे में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं.
(क) स्थापना (Establishment) | धारा 9(a ) ] राज्य सरकार राजपत्र में (in the Gazettee) अधिसूचना (Notification) जारी करके उपभोक्ता की समस्याओं का समाधान करने हेतु प्रत्येक जिले में एक या एक से अधिक ‘जिला उपभोक्ता मंचों’ का गठन कर सकती है।
(ख) गठन (Composition ) [ धारा 10 (1) ] जिला मंच में कुल तीन सदस्य रखे जाते हैं, जिनमें
- जिला न्यायाधीश (वर्तमान) या बनने की योग्यताएँ रखने वाला व्यक्ति इस मंच का सभापति (Chairman) होता है, तथा
- दो अन्य व्यक्ति जिनमें से एक महिला होती है, सदस्य के रूप में जिला- मंच में सम्मिलित किए जाते हैं। ये सदस्य ख्याति प्राप्त पर्याप्त अनुभवी एवं आर्थिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक, सार्वजनिक मामलों एवं लेखाकर्म की गहन जानकारी रखने वाले होते हैं।”
जिला मंच के सदस्यों एवं सभापति की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा चयन समिति की अनुशंसा के आधार पर की जाती है।
(ग) चयन समिति का गठन
जिला मंच के सदस्यों और सभापति की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यों की चयन समिति का गठन धारा 10(2) के अन्तर्गत किया जाता है। इसमें, राज्य आयोग का सभापति समिति का अध्यक्ष, राज्य के विधि विभाग का सचिव एवं उपभोक्ता मामलों के प्रचारी विभाग का सचिव, दोनों इस समिति के सदस्य होते हैं।
(घ) सदस्यों का कार्यकाल एवं आयु
जिला मंच का प्रत्येक सदस्य अपने पद पर [ धारा 10 (2) के अनुसार) 5 वर्ष तक बना रह सकता है, परन्तु 65 वर्ष की आयु होने पर 5 वर्ष के पूर्व ही उसे त्यागपत्र प्रस्तुत करना होता है अथवा उसका पद स्वतः समाप्त हुआ माना जाता है।
यह शांतव्य है कि इस मंच के सदस्यों की कभी भी पुनः नियुक्ति नहीं की जा सकती। [धारा 10 (2)]
(ङ) वेतन-भत्ते एवं अन्य सेवा शर्ते
इस अधिनियम की धारा 10 (3) के अन्तर्गत, उपरोक्त सभी तथ्यों के बारे में नियम बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकार को ही दिया गया है, राज्य सरकार इन बिन्दुओं पर नियम निर्धारित कर सकती है, नियमों में परिवर्तन अया संशोधन भी कर सकती है।
जिला मंच का अधिकार क्षेत्र
इस अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, जिला मंच के अधिकार क्षेत्र को दो आधारों पर विभाजित किया जा सकता है, जैसे
(क) आर्थिक आधार (Economic basis) ऐसी वस्तुएँ एवं सेवाएँ जिनकी लागत एवं क्षतिपूर्ति की राशि पाँच लाख रुपए तक की है, जिला-मंच को सुनवाई करने का अधिकार होगा।
(ख) भौगोलिक आधार (Geographical Basi ) – जिला मंच में शिकायत दर्ज कराने के लिए, यह आवश्यक है कि विरोधी पक्षकार (शिकायतकर्ता) उस जिले का निवासी हो अथवा वहाँ पर व्यवसाय संचालित करता हो अथवा उसका शाखा कार्यालय उस जिले में हो अथवा व्यक्तिगत रूप से लाभ कमाने के लिए यहां पर कोई कार्य करता हो।
शिकायत प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि
- कोई भी उपभोक्ता, जिसे माल सुपुर्द किया गया है अथवा बेचा गया है या ठहराव किया गया है और उस माल में कोई दोष प्रकट होता है, तो वह अथवा
- कोई भी मान्यता प्राप्त उपभोक्ता संघ, किसी भी सदस्य या अ-सदस्य के लिए जिला मंच में शिकायत प्रस्तुत करने का अधिकारी होता है।
- शिकायत करने के लिए कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है। इसके लिए सादे कागज पर शिकायत दर्ज करके डाक द्वारा या प्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत तौर पर जिला मंच के सम्मुख प्रस्तुत की जा सकती है। इसके लिए वकील करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- लिखित शिकायत के अन्तर्गत
- (क) शिकायतकर्ता का नाम-पता,
- (ख) विरोधी पक्षकार पक्षकारों के नाम व पते,
- (ग) शिकायत से सम्बन्धित तथ्यों को सिद्ध करने वाले प्रमाण-पत्र इत्यादि तथा
- (घ) शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर होने आवश्यक हैं।
- (5)जिला-मंच में शिकायत प्रस्तुत करने के लिए कोई निर्धारित शुल्क लिया जाता है, तथा किसी वस्तु के नमूने के दोषों को सिद्ध करने के लिए, यदि उसे प्रयोगशाला में भेजा जाता है तो उसका शुल्क चुकाना पड़ता है।
शिकायत निवारण की प्रक्रिया
यह अधिनियम उपभोक्ता की शिकायतों को दूर करने के लिए धारा 13 के अनुसार, प्रक्रिया निम्न प्रक्रिया का प्रावधान करता है
(क) माल-सम्बन्धी शिकायतों की निवारण
किसी भी उपभोक्ता के द्वारा जब जिला मंच में लिखित शिकायत प्रस्तुत की जाती है तो उसका समाधान निम्न प्रकार से किया जाता है
- (क) विरोधी पक्ष को शिकायत की प्रति भेजना जिला-मंच किसी उपभोता द्वारा भेजी गई शिकायत की फोटो प्रति कराकर स्वयं उसे विरोधी पक्ष को टिप्पणी सहित भिजवाता है। धारा 13 (1) (a)]
- (ख) विरोधी पक्ष द्वारा स्पष्टीकरण जिला-मंच के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप विरोधी पक्षकार उस शिकायत के बारे में अपना पक्ष (स्पष्टीकरण) प्रस्तुत करता है। ऐसा स्पष्टीकरण 30 दिन के भीतर दिया जाना आवश्यक है परन्तु किन्हीं विशेष परिस्थितियों में जिला मंच द्वारा इस तिथि को अधिकतम 15 दिनों तक के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
- (ग) निर्धारित समय में स्पष्टीकरण न देने पर यदि विरोधी पक्षकार उस पर लगाए गए आरोपों को अस्वीकार करता है अथवा कोई प्रत्युत्तर नहीं देता है तो जिला-मंच निम्न प्रक्रिया के आधार पर समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है।
(1) वस्तु का नमूना प्राप्त करके उसे प्रमाणित करना
यदि शिकायत में दर्ज माल में कोई खराबी बताई गई हो तथा विश्लेषण के बिना उसकी खराबी का पता नहीं लगाया जा सकता हो तो जिला मंच शिकायतकर्ता से उस माल का नमूना प्राप्त करके सील कर देता है।तत्पश्चात् उसे प्रमाणित करता है। धारा 13 (1) (b)]
(2) जांच हेतु शुल्क
जब जिला मंच खराबी वाले माल की जाँच प्रयोगशाला में कराने का निर्णय ले लेता है तो इसके लिए शिकायतकर्ता से एक निर्धारित शुल्क जमा कराया। जाता है और उस शुल्क सहित नमूने को जाँच हेतु प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है (धारा 13 (1) (c) एवं (d)]
(3) प्राप्त रिपोर्ट से विरोधी पक्ष को अवगत कराना
जब जिला मंच को प्रयोगशाला से माल के विश्लेषण की रिपोर्ट प्राप्त हो जाती है तो वह इसकी एक प्रति शिकायतकर्ता को अपनी टिप्पणी लिखकर भेज देता है। (धारा 13 (1) (e)) (4) विरोध प्रकट करने का अधिकार देना यदि विवाद के किसी भी प्रयोगशाला द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर कोई आपत्ति होती है तो जिला मंच उस पक्षकार को लिखित में अपना विरोध दर्ज करने की अनुमति प्रदान करता है। (धारा 13 (1) (1)
(5) दोनों पक्षकारों को सुनवाई का अवसर देना
विवाद के किसी भी पक्षकार को आपत्ति होने पर जिला मंच ‘बुलावा पत्र’ (Summon) भेजकर दोनों पक्षों को तलब करता है। तथा विरोध के कारणों का पता लगाते हुए उनको स्पष्टीकरण देने हेतु पूर्ण अवसर प्रदान करता है। [ धारा 13 (1) (g)]
(6) आदेश प्रसारित करना
जब जिला मंच को यह विश्वास हो जाता है कि जिस माल के विरुद्ध शिकायत प्रस्तुत की गई थी, वह सत्य है तो वह दोषी पक्ष (व्यवसायी) को [धारा 14 (1)]
- (i) नया दोष-मुक्त माल देने का, अथवा
- (ii) शिकायकर्त्ता द्वारा चुकाए गए मूल्य को वापस लौटाने का, अथवा
- (iii) सम्बन्धित माल के दोषों को दूर करने का आदेश प्रसारित कर सकता है।
(7) अपील का अधिकार
यदि जिला मंच द्वारा दिए गए निर्णय से कोई पक्षकार सन्तुष्ट नहीं है तो वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर ‘राज्य आयोग’ (State Commission) को ‘पुनर्विचार याचिका’ (प्रस्तुत कर सकता है।
(ख) सेवा सम्बन्धी शिकायतों की निवारण प्रक्रिया
विभिन्न सेवाओं से सम्बन्धित ऐसी शिकायतें जो कि किसी उपभोक्ता द्वारा जिला मंच के सम्मुख प्रस्तुत की जाती हैं, उनके समाधान की निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है
(1) विरोधी पक्षकार को सूचना देना
जब किसी सरकारी या गैर-सरकारी व्यक्ति द्वारा किसी प्रकार की ऐसी सेवा से सम्बन्धित शिकायत जो कि उपभोक्ता के जीवन को प्रभावित करती है तथा जिससे हानि होने की सम्भावना रहती है, यदि लिखित में प्राप्त होती है तो उसकी एक प्रतिलिपि दूसरे पक्षकार को भेजी जाती है। धारा 13 (2) (a))
(2) पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देना जिला-
मंच द्वारा भेजी गई शिकायत की प्रतिलिपि का विरोधी पक्ष द्वारा शिकायत प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन के भीतर अपना प्रत्युत्तर जिला मंच को प्रस्तुत कर सकता है। इस अवधि को 15 दिन तक के लिए और बढ़ाया जा सकता है। धारा 13 (2) (a)
(3)आरोप अस्वीकार करने पर
यदि विरोधी पक्ष निर्धारित अवधि के भीतर आरोपों का प्रत्युत्तर प्रस्तुत नहीं करता है तो उस स्थिति में शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रमाणों के आधार पर जिला मंच द्वारा ‘फैसला (Aawad) प्रस्तुत कर दिया जाता है। [ धारा 13 (3)]
जिला मंच की शक्तियाँ / अधिकार
भारतवर्ष में ‘नागरिक दण्ड प्रक्रिया संहिता’ (Civil Procedure Code) के अन्तर्गत जनपद न्यायालयों (Civil Courts) को जो अधिकार प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार की समस्त शक्तियों जिला मंत्रों को भी प्रदान की गई हैं, जो कि निम्न प्रकार हैं।
(1) गवाहों को बुलाने का अधिकार
जिला मंच किसी भी प्रतिवादी (defendant) अथवा गवाह को शिकायत निवारण प्रक्रिया के अन्तर्गत कभी भी बुलाने का अधिकार रखता है। इसी प्रकार किसी भी साक्ष्य का परीक्षण करने के लिए किसी भी गवाह को हाजिर होने का आदेश दे सकता है। (धारा 13 (4) (i)
(2)साक्ष्य को खोजने एवं प्रस्तुत करने की शक्ति-
यदि शिकायत निवारण के लिए किसी साक्ष्य धारण करने वाले व्यक्ति की आवश्यकता पड़े तो जिला मंच उसे ‘बुलावा पत्र’ (Summon) भेजकर बुलवा सकता है और ‘साक्ष्यों’ (Evidences) को प्रस्तुत कराने का आदेश प्रदान कर सकता है। [(धारा 13 (4) (ii)]
यदि आवश्यक हो तो साक्ष्य प्राप्त करने के लिए जिला मंच गवाह से शपथ भी ले सकता है। [(धारा 13 (4) (iii)]
(3) जाँच रिपोर्ट प्राप्त करने की शक्ति
राज्य में गठित किसी भी जिला मंच को सरकार द्वारा निर्धारित प्रयोगशाला से शिकायत से सम्बन्धित माल की रिपोर्ट को माँगने (प्राप्त करने) का अधिकार प्राप्त है। (धारा 13 (4) (iv)]
(4) गवाह का परीक्षण करने का अधिकार
किसी भी शिकायत से सम्बन्ध रखते वाले गवाह का परीक्षण करने के लिए यह मंच ‘वैधानिक आदेश जारी करने का अधिकत रखता है। यह मंच-दीवानी न्यायालय (Civil Courts) के समकक्ष होता है। (धारा 13 (4) (v)
न्यायिक शक्तियाँ
जिला मंच द्वारा जो भी कार्यवाही की जाएगी, उसे भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 193 तथा 228 के अन्तर्गत ‘न्यायिक क्रियाविधि’ (Judical Procedings) माना जाएगा। ऐसी परिस्थिति में जबकि कोई पक्ष झूठी गवाही प्रस्तुत करेगा तो भारतीय दण्ड (विधान) संहिता के अन्तर्गत, ‘अपराध’ मानते हुए उसके विरुद्ध ( कार्यवाही की जा सकेगी। [(धारा 13 (5)]
एक साथ प्राप्त होने वाले ऐसे आवेदन पत्र जो कि उपभोक्ताओं ने एक जैसे विषय को लेकर प्रस्तुत किए हैं तो जिला मंच उन सभी मामलों में एक निर्धारित तिथि पर ‘फैसला’ (Award) प्रदान कर सकता है। [(धारा 13 (6)]
(6) प्रलेखों / प्रपत्रों या पुस्तकों को मांगने का अधिकार
यदि जिला मंच उचित समझता है तो वह इस अधिनियम के किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सम्बन्धित पुस्तकों, लेखों, प्रलेखों एवं दस्तावेजों की माँग कर सकता है अथवा किसी भी व्यक्ति को इन्हें प्रस्तुत करने के लिए आदेश प्रदान कर सकता है। [(धारा 13 (1) (c)]
जिला मंच को यह भी अधिकार है कि –
- (i) वह धारा 10 (2) (a) के अन्तर्गत उन पुस्तकों, कागजों, प्रलेखों या वस्तुओं को खोजने अथवा जब्त करने का आदेश प्रदान कर सकता है जिन्हें कि नष्ट किया जा रहा है अथवा परिवर्तित / विकृत किया जा रहा है।
- (ii) यदि मंच आवश्यक समझे तो जब्त किए गए प्रलेखों, कागजो, खातों या वस्तुओं का परीक्षण के पश्चात् रोकने या उन्हें वापस लौटाने का आदेश प्रदान कर सकता है। [(धारा 10 (2) (b)]
प्राथमिक शिक्षा के महत्त्व एवं आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
निर्णय की अवधि –
- यदि उपभोक्ता द्वारा की गई शिकायत, बिना प्रयोगशाला जांच के सुनवाई हेतु प्रस्तुत की गई हो तो शिकायत की सूचना प्राप्ति की तिथि से 90 दिन के भीतर जिला मंच द्वारा निर्णय (Award) दिया जाना आवश्यक
- यदि शिकायतकर्त्ता पक्षकार ने कोई ऐसी शिकायत प्रस्तुत की है, जिसका निर्णय प्रयोगशाला द्वारा किए जाने वाले परीक्षण एवं विश्लेषण पर निर्भर करेगा तो ऐसी स्थिति में दूसरे पक्षकार को सूचना प्राप्त होने की तिथि से 150 दिन के भीतर, जिला मंच द्वारा निर्णय किया जाना आवश्यक है।
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