उदार दल-1688 की शानदार रक्तहीन क्रान्ति का जिन लोगों ने समर्थन किया वे हिग कहलाये। न तो ताज के भक्त थे और न चर्च के पुजारी। उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि सम्राट, चर्च और लार्ड सभा से ऊपर नहीं है। यदि वे संस्थायें आवश्यक नहीं रही तो इन्हें सुधार दिया जाये या समाप्त कर दिया जाये सत्रहवीं शताब्दी के हिंग ही उन्नीसवीं शताब्दी के उदारवादी है।
नीति और कार्यक्रम
उदार दल उदारवादी था, इसलिये इसका नाम उदारवादी दल पड़ गया। यह दल सुधार चाहता था, क्रान्ति नहीं। अतः वह प्रगतिशील भी था और रूढ़िवादी भी सिडनी बेली के शब्दों में, “गत तीन शताब्दियों में डिग बल (उदारवादी दल) कई पहलुओं से गुजर चुका है। कभी वह धनिकों का पोषक और कभी पददलितों का संरक्षक कभी इसमें शान्ति के दल और कभी कठोर प्रतिकार करने वाले दल का रूप ले लिया, कभी यह सद्भाव्यम का समर्थन करता तो कभी आर्थिक नियोजन का पक्षपोषक रहा है कभी वह साम्राज्यवाद का दल रहा है तो कभी छोटे से इंग्लैण्ड का समर्थक सामान्यतः यह सहिष्णुता का समर्थक रहा, परन्तु कुछ अवधियाँ बड़ी विकट असहिष्णुता की भी रही है।
राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।