तुर्क चन्देल संघर्ष पर एक लेख लिखिए।

तुर्क चन्देल संघर्ष

चन्देल शासकों ने विदेशी तुर्कों के आक्रमण का जबरदस्त प्रतिरोध किया और उनके सामने आसानी से हार स्वीकार नहीं की। तुर्क चन्देल संघर्ष का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

धंग और सुबुक्तगीन

धंग और सुबुक्तगीन से सीधे युद्ध का कोई वर्णन नहीं मिलता परन्तु जयपाल द्वारा निर्मित संघ में धंग ने भी सहायता प्रदान की थी। अतः धंग भी मुसलमानों की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए प्रयत्नशील था यद्यपि धंग की सेना को सुबुक्तगीन ने परास्त कर दिया था।

गण्ड और महमूद

गण्ड के समय भी चन्देल राज्य पर तुर्क आक्रमण महमूद गजनवी ने किया था। गण्ड ने महमूद का सामना करने के लिए एक संघ का निर्माण किया। संघ की सम्मिलित सेना आनन्दपाल के नेतृत्व में महमूद की सेना से भिड़ी लेकिन सफलता महमूद को प्राप्त हुई।

महमूद का चन्देलों पर पुनः आक्रमण

प्रतिहार राजा राज्यपाल ने महमूद गजनवी के समक्ष समर्पण कर दिया। गण्ड ने अपने पुत्र विद्याधर को राज्यपाल को सजा देने के लिए भेजा। राज्यपाल मार डाला गया और त्रिलोचनपाल को कन्नौज का शासक घोषित किया गया। इस घटना से महमूद को बहुत क्रोध आया और उसने 1019 ई. में गण्ड के राज्य पर आक्रमण कर दिया। महमूद की विशाल सेना को देखकर गण्ड घबरा गया और युद्ध स्थल से भाग गया।

विद्याधर और महमूद

गण्ड के बाद विद्याधर चन्देलों का राजा बना। उसे भी महमूद के आक्रमण का सामना करना पड़ा। लेकिन महमूद और विद्याधर में संघर्ष के बाद एक सन्धि हो गयी और इस प्रकार महमूद विद्याधर को पूरी तरह परास्त न कर सका।

पुष्यभूति के विषय में आप क्या जानते हो?

अतः तत्कालीन भारतीय शासकों में केवल चन्देल शासक ही थे जिन्होंने तुर्कों का वीरता पूर्वक मुकाबला किया और आसानी से तुर्कों से हार नहीं मानी।

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