तुगलक वंश के पतन – निःसंदेह फिरोजशाह तुगलक तुगलकवंश का एक महान शासक था। उसने उदारनीति का पालन करते हुए जनता का बहुत हिन किया। परन्तु उसकी यही उदारनीति बाद में तुगलक वंश के लिए हानिकारक भी सिद्ध हुई। उसने जहाँ अपने उदारतापूर्ण कार्यों से जनता का मला किया, वहीं अपनी दुर्बल नीति द्वारा शासन व्यवस्था में भ्रष्टाचार, घूसखोरी और अकर्मण्यता को फैलने का अवसर दिया। जागीरदारी प्रथा, कमजोर सेना, दास प्रथा को बढ़ावा आदि का तुगलक वंश के पतन में बहुत बड़ा योगदान था।
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उसने जनता पर से करों का बोझ कम करके जहाँ जनता को राहत दी थी वहीं साम्राज्य को प्राप्त होने वाली आय में कमी हो गयी। उसने शान्ति की नीति का पालन किया जिससे युद्ध की विभीषिका से बचा जा सके लेकिन उसकी इस नीति से सेना की स्थिति कमजोर हुई। इस प्रकार फिरोजशाह तुगलक को तुगलक वंश के पतन के उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं किया जा सकता।