तैमूर के भारत आक्रमण – तैमूर भारत पर आक्रमण करना चाहता था। शीघ्र ही मुल्तान के सूबेदार सारंग खाँ से तैमूर के पोते पीर मुहम्मद का संघर्ष हो गया और उसे भारत पर आक्रमण का मौका मिल गया। तैमूर ने 92 हजार घुड़सवारों की सेनाओं के साथ सिन्ध नदी को पार कर लाहौर पर आक्रमण कर दिया।
लाहौर पर विजय प्राप्त करने के बाद वह पाकपट्टन दिपालपुर, फतेहबाद और कैथल को लूटता हुआ दिल्ली की ओर बढ़ा उसने दिल्ली पर आक्रमण के पूर्व अपनी सेनाओं को संगठित किया। दिल्ली के सुल्तान महमूद ने तैमूर की सेना का मुकाबला किया परन्तु वह बुरी तरह पराजित हुआ।
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दिल्ली में प्रवेश करते ही सेनाओं ने भयंकर रक्त पात किया। दिल्ली की जनता आतंकित हो गयी। तैमूर की सेना ने फसलों को भी नष्ट किया। तैमूर दिल्ली में 15 दिनों तक रहा तत्पश्चात् वह अपने देश वापस चला गया। वापस लौटते समय उसने खिन खाँ को दिल्ली का सुल्तान बना दिया और जरूरत पड़ने पर सहायता का वचन दिया।