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शिक्षा की प्रकृति बताइये। शिक्षा विज्ञान है या कला अथवा दोनों? स्पष्ट कीजिए।

शिक्षा की प्रकृति की विवेचना शिक्षा की प्रकृति शिक्षा विज्ञान है या कला, यह प्रश्न अत्यन्त विवादास्पद है। कुछ विद्वान शिक्षा को एक विज्ञान के रूप में मान्यता देते हैं। दूसरे विद्वान यह कहते हैं कि शिक्षा विज्ञान न होकर कला है। वास्तविकता यह है कि शिक्षा न तो पूर्ण कला है औन न पूर्ण …

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भारत में सांस्कृतिक एवं सजातीय विविधताओं पर एक निबन्ध लिखिए।

संस्कृतिक विविधता- सांस्कृतिक एवं सजातीय विविधताओं पर एक निबन्ध भारत में विभिन्न धर्मों, भाषाओं, रीति-रिवाज, प्रथाओं, परम्पराओं, विचारों, विश्वासों, संस्कारों, खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा आदि के रूप में पर्याप्त बहुलता एवं विविधता के दर्शन होते हैं, जैसे उत्तर और दक्षिण के लोगों, हिन्दू और मुसलमानों, ग्रामीण व नगरीय तथा परम्परावादी एवं आधुनिक माने जाने वाले लोगों …

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समाजशास्त्र की विषय वस्तु का विवेचना कीजिए।

समाजशास्त्र की विषय वस्तु- समाजशास्त्र की विषय वस्तु क्या है? इसके अन्तर्गत किन-किन विषयों का अध्ययन किया जाता है? आदि पर विद्वानों ने अलग-अलग मत दिये हैं परन्तु वर्तमान में अधिकांशतः विद्वान समाजशास्त्र को समाज का एक सामान्य अध्ययन मानते हैं। वस्तुतः समाजशास्त्र की विषयवस्तु उसकी परिभाषा से ही सम्बद्ध है। ये दोनों ही एक-दूसरे …

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नगर को परिभाषित कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

नगर का अर्थ- नगर को परिभाषित कीजिए -नगर अथवा शहर का अंग्रेजी पर्याय city (सिटी) है। city शब्द लैटिन भाषा के शब्द civitas से बना है जिसका अर्थ ‘नागरिकता’ है। मुख्यता नगर को जनसंख्य के आधार पर परिभाषित किया जाता है परन्तु अलग-अलग देशों में यह जनसंख्या अलग-अलग है। जैसे अमेरिका में 25 हजार जनसंख्या …

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प्राचीन कालीन शिक्षक के महत्त्व की विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।

शिक्षक की अवधारणा (महत्व) प्राचीन कालीन शिक्षक के महत्त्व वैदिक शिक्षा में गुरु का पर्याप्त महत्त्व था। गुरु के अभाव में ज्ञान असंभव माना जाता था। यद्यपि उपनिषदों में स्वाध्याय को विशेष महत्त्व दिया गया है किन्तु गुरु का स्थान विशिष्ट बना रहा। स्वाध्याय से पूर्व गुरु वचन सुनना अनिवार्य है। गुरु के अभाव में …

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समाजशास्त्र की प्रकृति को निर्धारित कीजिए।

समाजशास्त्र की प्रकृति को निर्धारित कैसे करेंगे आइए जानते हैं- इस बात को लेकर विचारकों में मतभेद है। कतिपय विचारक जहाँ समाजशास्त्र की प्रकृति को वैज्ञानिक मानते हैं तो वहीं कतिपय विचारक समाजशास्त्र को अवैज्ञानिक मानते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन विचारकों ने समाजशास्त्र को विज्ञान नहीं माना है, वे सम्भवतः विज्ञान को …

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गाँव तथा कस्बे में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हैं की हम आप सभी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित जानकारियाँ शेयर करते हैं। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी के लिए हम गाँव तथा कस्बे में अन्तर क्या-क्या हैं ओ सभी जानकारी इस पोस्ट में डीटेल में शेयर कर रहे हैं। गाँव – गाँव …

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प्राचीन कालीन शिक्षा की प्रमुख विशेषताओं (गुणों) का उल्लेख कीजिए।

प्राचीन कालीन शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ (गुण) (1) औपचारिक शिक्षा का प्रारम्भ- प्राचीन कालीन शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ-वास्तव में गुरुकुल से ही औपचारिक शिक्षा आरम्भ होती थी। कविवर रवीन्द्र का कथन है, “भारतीय संस्कृति का निर्माण नगरों में नहीं बल्कि वन प्रान्तीय आश्रमों में हुआ था।” उपनयन संस्कार के पश्चात् गुरुकुल शिक्षा आरम्भ होती थी …

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समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र की विवेचना कीजिए।

समाजशास्त्र का विषय-क्षेत्र समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र- समाजशास्त्र की विषय-वस्तु एवं विषय क्षेत्र आपस में घनिष्ठ रूप में सम्बद्ध है। इसके नने बावजूद इसके विषय क्षेत्र को निर्धारित करना एक दुष्कर कार्य है क्योंकि समाज सदैव परिवर्तनशील रहता है, जिसके कारण इसकी आवश्यकता, कार्य आदि भी परिवर्तनशील रहते हैं। अतः ऐसी स्थिति में समाजशास्त्र के …

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शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।

शिक्षा का अर्थ-शिक्षा मानव जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। शिक्षा द्वारा ही मनुष्य सभ्य और सुसंस्कृत जाता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शिक्षा ही मनुष्य की सबसे बड़ी सहयोगी के रूप में सामने आती है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ- “शिक्षा” शब्द के लिए अंग्रेजी में Education (एजुकेशन) का प्रयोग किया जाता है। Education …

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