उपनयन संस्कार पर टिप्पणी लिखिए।
शिक्षा का विशेष महत्व होने के कारण उपनयन संस्कार का अत्यधिक महत्व था।उपनयन संस्कार के पश्चात् ही बालक ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश करता था एवं शिक्षा ग्रहण करने हेतु गुरु के समीप जाता था। इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है। उपनयन संस्कार की आयु ब्राह्मण के लिए आठ वर्ष, क्षत्रिय के लिए ग्यारह वर्ष …