तबकात-ए-नासिरी का ऐतिहासिक महत्व – ‘तबकात-ए-नासिरी एक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ के लेख मिन्हाज-उस-सिराज है। उनमें उत्तरी भारत में मुस्लिम आधिपत्य का अच्छा वर्णन मिलता है। इस ग्रन्थ के अध्ययन से दिल्ली सल्तनत का क्रमबद्ध • विवरण प्राप्त होता है। इस ग्रन्थ में इल्तुतमिश के शासनकाल की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल होती है। उसके अलावा शासन कार्य में अमीरों व उलेमाओं के हस्तक्षेप की जानकारी भी इसी ग्रन्थ द्वारा होती है तबकाते नासिरी में समकालीन राजनीतिक जीवन का चित्रण किया गया है। इस ग्रन्थ का महत्वपूर्ण दोष यह है कि इसमें घटनाओं की बार-बार पुनरावृत्ति की गई है तथा घटनाओं का विवरण भी संक्षिप्त और पूर्णतया निष्पक्ष नहीं है।
सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक की आर्थिक नीति का मूल्यांकन कीजिए।
लेखक द्वारा समकालीन सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर भी प्रकाश डालने का प्रयत्न नहीं किया गया है। आलोचकों का कहना है कि सिराज ने राजनीतिक गतिविधियों का निर्जीव विवरण दिया है। उसने राजाओं तथा अमीरों का अत्यधिक महत्व दिया, परन्तु जनसाधारण की दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया। उसने अपनी रचना में धार्मिक शब्दावली का भरपूर प्रयोग किया है।