स्विट्जरलैण्ड में लोकनिर्णय और आरम्भक का प्रयोग तथा संवैधानिक प्रावधान और प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।

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स्विट्जरलैण्ड में लोकनिर्णय– 1848 में निर्मित स्विस संविधान में प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उपकरणों लोकनिर्णय और आरम्भक को अपनाया गया था और 1998 में निर्मित तथा अप्रैल, 1999 से लागू संविधान के अनुच्छेद 138 से 142 में लोकनिर्णय और आरम्भक को अपनाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। स्विट्जरलैण्ड में लोकनिर्णय को अलग-अलग विषयों पर अनिवार्य और ऐच्छिक दो अलग-अलग रूपों में अपनाया गया है। लोकनिर्णय की व्यवस्था संवैधानिक संशोधन और सामान्य व्यवस्थापन दोनों के ही सम्बन्ध में है।

पूर्ण संवैधानिक संशोधन और अनिवार्य लोकनिर्णय

संवैधानिक संशाधन के प्रसंग में अनिवार्य लोकनिर्णय की व्यवस्था की गयी है। संवैधानिक संशोधन के दो चरण हैं- संशोधन की प्रस्तावना और संशोधन प्रस्ताव की पुष्टि । इन दोनों ही चरणों के प्रसंग में अनिवार्य लोकनिर्णय की व्यवस्था की गई है। संशोधन प्रस्ताव की पुष्टि के सम्बन्ध में संविधान के अनुच्छेद 195 में स्पष्ट कहा गया है- “पूर्ण या आंशिक संशोधन के प्रस्ताव लागू होंगे, जबकि उन्हें मतदान में भाग लेने वाले स्विस नागरिकों के बहुमत तथा कैण्टनों के बहुमत द्वारा स्वीकार किया जायेगा।” पूर्ण संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव दो परिस्थितियों में अनिवार्य रूप से लोकनिर्णय के लिए प्रस्तुत किया जायेगा। प्रथम- यदि प्रस्ताव संघीय संसद के किसी एक सदन या संघीय शासन द्वारा प्रस्तावित किया गया है और उसके सम्बन्ध में दोनों सदनों में मतभेद है। द्वितीय- यदि संशोधन प्रस्ताव एक लाख स्विस मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित किया गया है तो इसे जनता के सम्मुख स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जायेगा।

संविधान के आंशिक संशोधन का प्रस्ताव और लोकनिर्णय

यदि संविधान में आंशिक संशोधन का प्रस्ताव सविन्यासित आरम्भक के रूप में संघीय संसद के पास भेजा जाता है, तो संघीय संसद इसे लोकनिर्णय के लिए जनता के सम्मुख और कैण्टनों के सम्मुख प्रस्तुत करेगी। संघीय संसद अपनी ओर से इसकी स्वीकृति या अस्वीकृति के लिए सिफारिश कर सकती है। यदि संघीय संसद इसकी अस्वीकृति के लिए सिफारिश करती है तो वह अपनी और से ‘वैकल्पिक प्रस्ताव’ (Counter draft) तैयार कर सकती है। जनता और कैण्टन एक साथ दोनों प्रस्तावों, मूल आरम्भक और वैकल्पिक प्रस्ताव पर मतदान करेंगे। यदि मतदाताओं का बहुमत और कैण्टनों का बहुमत, इन दोनों में से किसी एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो उस प्रस्ताव को स्वीकृत समझा जायेगा, लेकिन यदि एक प्रस्ताव को जनता के बहुमत की स्वीकृति प्राप्त होती है तथा दूसरे को कैण्टनों का बहुमत प्राप्त होता है, तब दोनों ही प्रस्तावों को अस्वीकृत समझा जायेगा।

जनता (एक लाख मतदाता) सामान्य सुझाव के रूप (अविन्यासित आरम्भक) में भी संविधान के संशोधन का प्रस्ताव संघीय संसद को भेज सकती है। यदि संघीय संसद सामान्य प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है तो वह आंशिक संशोधन का प्रारूप तैयार कर जनता और कैण्टनों के सम्मुख लोकनिर्णय के लिए प्रस्तुत करती है, लेकिन यदि वह आरम्भक प्रस्ताव से असहमत है, तो भी वह उसे जनता के सम्मुख निर्णय के लिए रखेगी और जनता इस बात का निर्णय करेगी कि प्रस्ताव पर आगे कार्यवाही हो अथवा नहीं। यदि जनता आरम्भक प्रस्ताव को स्वीकार करती है, तो संसद आरम्भक प्रस्ताव के सामान्य सुझावों को आधार बनाकर तत्सम्बन्धी विधेयक का प्रारूप तैयार करेगी।

संशोधन प्रस्ताव की पुष्टि हेतु लोकनिर्णय (Referendum for the ratification of the Amendment)

संशोधन प्रक्रिया का दूसरा चरण संशोधन की पुष्टि का है और चाहे पूर्ण संशोधन का प्रस्ताव हो या आंशिक संशोधन का संशोधन के पुष्टिकरण हेतु एक ही प्रक्रिया अपनायी जाती है। संशोधन की पुष्टि हेतु प्रस्ताव को लोकनिर्णय के लिए रखा जाता है। संशोधन तभी पारित समझा जाता है जबकि कैण्टनों के बहुमत तथा स्विस संघ की जनता के बहुमत द्वारा उसे स्वीकार कर लिया जाये। कैण्टनों के बहुमत का निर्णय करने में पूरे कैण्टन का मत एक तथा अर्द्ध कैण्टन का मत आधा गिना जाता है। इस प्रकार संशोधन पारित समझे जाने के लिए यह आवश्यक है कि कम से कम 11½ कैण्टनों द्वारा जनता के बहुमत द्वारा उसे स्वीकार कर लिया जाये। जनता के बहुमत और कैण्टनों के बहुमत द्वारा स्वीकार कर लिये जाने पर संविधान में सम्बन्धित संशोधन हो जाता है।.

संवैधानिक संशोधन के अतिरिक्त अनिवार्य लोकनिर्णय की दो स्थितियाँ-

संवैधानिक संशोधन के अतिरिक्त दो अन्य स्थितियों में भी अनिवार्य लोकनिर्णय की व्यवस्था है। इन स्थितियों या विषयों का उल्लेख नवीन संविधान के अनुच्छेद 140 के (ब) और (स) भाग में किया गया। प्रथम सामूहिक सुरक्षा हेतु स्विट्जरलैण्ड का किसी संगठन या उच्च राष्ट्रीय समुदाय में प्रवेश स्विट्जरलैण्ड लम्बे समय तक संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य नहीं था, कारण यह था कि जब-जब संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता का प्रस्ताव जनता के सम्मुख लोकनिर्णय के लिए रखा गया, जनता ने उसे अस्वीकार कर दिया। 2001 ई. में जब जनता ने लोकनिर्णय में संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता का प्रस्ताव स्वीकार किया, तब 2002 ई. में स्विट्जरलैण्ड ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता प्राप्त की। द्वितीय ऐसे संघीय अधिनियम, जिनका कोई निश्चित संवैधानिक आधार नहीं है तथा जिन्हें ‘अत्यावश्यक’ (Urgent ) करार देकर एक वर्ष से अधिक समय के लिए लागू करने की घोषणा की गयी है, उन्हें संघीय संसद द्वारा पारित किये जाने के बाद एक वर्ष के भीतर लोकनिर्णय के लिए प्रस्तुत करना होगा।

ऐच्छिक लोकनिर्णय

अनुच्छेद 141 में ऐच्छिक लोकनिर्णय की स्थितियों का उल्लेख किया गया है। 50 हजार नागरिक या 8 कैण्टन निम्न में से किसी पर लोकनिर्णय की माँग कर सकते हैं। यह मांग कानून पारित होने, आदेश जारी होने या सन्धि सम्पन्न होने के 90 दिन के भीतर की जानी चाहिए। ये स्थितियाँ या विषय है-

  1. संघीय अधिनियमों पर
  2. ऐसे संघीय अधिनियम, जिन्हें ‘अत्यावश्यक’ करार देकर एक वर्ष से अधिक समय के लिए लागू करने की घोषणा की गयी है।
  3. संविधान या संघीय अधिनियमों की सीमा के भीतर जारी किये गये संघीय आदेश।।
  4. निम्न श्रेणी की अन्तर्राष्ट्रीय संधियों पर भी ऐच्छिक लोकनिर्णय की व्यवस्था है- प्रथम ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संधियों, जो असीमित समय के लिए हैं और जिन्हें समाप्त नहीं किया जा सकता। द्वितीय- जिनमें स्विट्जरलैण्ड के किसी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन में प्रवेश की व्यवस्था है। तृतीय- जिनमें कानून के बहुपक्षीय एकीकरण की व्यवस्था है। संघीय संसद इस श्रेणी में अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संधियों को भी रख सकती है।

लोकनिर्णय में स्वीकृति की प्रक्रिया ( अनुच्छेद-142 ) –

जनता के मत हेतु | प्रस्तावित प्रस्ताव स्वीकृत समझे जायेंगे, यदि मतदान में भाग लेने वाले मतदाताओं का बहुमत उसे स्वीकृत करता है। जिन प्रस्तावों को जनता के मत हेतु और कैण्टनों के मत हेतु प्रस्तुत किया जाता है, उन्हें तभी स्वीकृत समझा जायेगा, जबकि मतदान में भाग लेने वाले मतदाताओं का बहुमत और कैण्टनों का बहुमत (23 में से 12 कैण्टन) प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दें। कैण्टन के मत का निर्णय कैण्टन में ‘लोकप्रिय मतदान’ (Popular Vote) के आधार पर होगा। कैण्टनों के मत की गणना में 6 अर्द्ध कैण्टनों (ओव वाल्डेन निड वाल्डेन, बसेल सिटी बसले लैण्ड, अपनजेल आउटर रोड्स, अपनजेल इनर रोड्स) में से प्रत्येक के मत को आधा और पूर्ण कैण्टन के (20) के मत को एक गिना जायेगा।

कैण्टनों में लोकनिर्णय (Referendum in Cantons)

संघीय संविधान के अनुसार सभी कैण्टनों में संविधान संशोधन सम्बन्धी विधेयकों पर अनिवार्य लोकनिर्णय की व्यवस्था है। 10 पूर्ण कैण्टनों और 1 अर्द्ध कैण्टन में सामान्य कानूनों पर भी अनिवार्य लोकनिर्णय की व्यवस्था है। 9 पूर्ण कैण्टन और 1 अर्द्ध कैण्टन में सामान्य कानूनों पर ऐच्छिक लोकनिर्णय की व्यवस्था है अर्थात् सम्बन्धित संविधानों में निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर निश्चित संख्या में मतदाताओं द्वारा लोकनिर्णय की मांग की जा सकती है। शेष कैण्टनों में लोकनिर्णय की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि वहाँ प्रत्यक्ष लोकतंत्र है। कुछ कैण्टनों में वित्त सम्बन्धी विषयों पर भी लोकनिर्णय की व्यवस्था है। उदाहरणार्थ- कुछ कैण्टनों में यह व्यवस्था है कि एक लाख फ्रेंक या उससे अधिक रकम के खर्च के लिए तथा दो लाख या उससे अधिक राशि के वार्षिक खर्च के लिए लोकनिर्णय करवाया जाना चाहिए।

आरम्भक (Initiative)- स्विट्जरलैण्ड में आरम्भक की व्यवस्था संविधान संशोधन सम्बन्धी विधेयकों के विषय में ही की गयी है, साधारण विधायी प्रस्तावों पर नहीं। इसलिए इसे ‘संवैधानिक आरम्भक’ (Constitutional initiative) ही कहा जाता है। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार संविधान के पूर्ण संशोधन तथा आंशिक संशोधन दोनों के ही विषय में आरम्भ का प्रयोग किया जा सकता है। दोनों ही प्रकार के आरम्भक का प्रयोग एक लाख मतदाताओं द्वारा किया जा सकता है। यदि उक्त संख्या में स्विस नागरिक पूर्ण संशोधन या आंशिक संशोधन के लिए याचिका दें, तो उस प्रार्थना पत्र पर लोकनिर्णय लेना आवश्यक होता है। एक लाख मतदाताओं के हस्ताक्षर छः महीने की अवधि के भीतर किये हुए होने चाहिए।

नवीन संविधान के अनुच्छेद-139 ( 3 ) में जनता की आरम्भक की शक्ति पर एक प्रतिबन्ध अवश्य ही लगाया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, “यदि कोई आरम्भक देश की एकता या अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनिवार्य नियमों का सम्मान नहीं करता है, तो संघीय संसद इस आरम्भक को सम्पूर्ण अंशों में या कुछ अंशों में अवैध घोषित कर देगी।”

पूर्ण संशोधन के लिए प्रस्तुत आरम्भक को यदि स्विस मतदाताओं का बहुमत स्वीकार कर ले, तो संघीय सभा का विघटन कर दिया जाता है और चुनाव के बाद निर्मित नयी संघीय तथा संविधान में संशोधन का कार्य करती है।

आंशिक संशोधन के लिए आरम्भक का प्रयोग पूरे विधेयक के रूप में अर्थात् सविन्यासित रूप (Formulated) में किया जा है या मोटे सुझावों के रूप में अर्थात अविन्यासित (Unformulated) रूप में किया जा सकता है। जब आंशिक संशोधन के लिए अविन्यासित रूप में आरम्भक का प्रयोग किया जाता है और यदि व्यवस्थापिका उससे सहमत होती है, तो यह सुझावों के अनुसार संशोधन विधेयक तैयार कर उस पर जनता व कैप्टनों का मत लेती है। यदि व्यवस्थापिका उन सुझावों से सहमत नहीं होती तो उन सुझावों पर लोकनिर्णय लिया जाता है। यदि लोकनिर्णय में जनता का बहुमत सुझावों का समर्थन करता है तो व्यवस्थापिका इस बात के लिए बाध्य होती है कि वह उन सुझावों के अनुसार संशोधन विधेयक तेया कर उस पर लोगों व कैप्टनों का मत ले।

उच्च न्यायालय की निरीक्षण और नियन्त्रण की शक्ति।

आंशिक संशोधन की याचिका यदि संशोधन विधेयक के साथ प्रस्तुत की जाती है और यदि संघीय संसद उससे सहमत होती है तो उस पर तुरन्त ही जनता तथा कैप्टनों का मतदान कराया जाता है। यदि जनता और कैप्टनों का बहुमत इसके पक्ष में हो तो संविधान में संशोधन होगा वरना नहीं। यदि संघीय संसद जनता द्वारा निर्मित विधेयक के विरुद्ध हो तो या तो यह मतदाताओं को इसकी अस्वीकृति के लिए सलाह दे सकती है या वैकल्पिक प्रस्ताव तैयार कर जनता से इसे स्वीकार करने के लिए आग्रह कर सकती है।

कैण्टनों के आरम्भक- (Initiative in Cantons) – जेनेवा में केवल संविधान विधेयकों पर ही आरम्भक की व्यवस्था है, शेष सभी कैण्टनों में संवैधानिक संशोधन तथा सामान्य कानून दोनों के ही सम्बन्ध में आरम्भक की व्यवस्था है। आरम्भक के प्रयोग की पद्धति सम्बन्धि कैण्टन के संविधान द्वारा ही निर्धारित की जाती है।

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