स्वतन्त्र भारत में स्त्री शिक्षा हेतु किये गये प्रयास – स्वतन्वं भारत में संवैधानिक रूप से स्त्री-पुरुष को समानता का दर्जा हासिल है। संविधान के अनुच्छेद 45 के तहत 14 साल तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। सियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर उपलब्ध हैं। वे शिक्षा के सभी सम्भावित क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने के लिए स्वतन्त्र है। पंचवर्षीय योजनाओं में स्त्रियों के विकास हेतु शिक्षा एवं व्यक्तित्व विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। अनेक कमीशनों द्वारा स्त्रियों की बेहतरी हेतु बहुमूल्य सुझाव दिए गए। विश्वविद्यालय शिक्षा समिति, नारी शिक्षा की राष्ट्रीय समिति, स्त्री शिक्षा सार्वजनिक सहयोग समिति कोठरी कमीशन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति परीक्षण समिति, केन्द्रीय सलाहकार समिति ने स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार व उसकी गुणवत्ता में सुधार हेतु सुझावों के साथ-साथ सियों को शिक्षा की ओर आकर्षित करने के सुझाव भी दिए।
इन सुझावों के क्रियान्वयन हेतु 1988 में राष्ट्रीय मिशन प्रारम्भ किया गया। सरकार ने सन् 2000 तक सभी को शिक्षित करने की योजना बनाई जो पूरी नहीं हो सकी। ऑपरेशन ब्लैड बोर्ड, अनौपचारिक शिक्षा योजना, नवोदय व केन्द्रीय विद्यालयों में बारहवीं कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि प्रत्येक नवोदय विद्यालय में एक तिहाई लड़कियां हो।
शिक्षा के लिए इन प्रयासों के कारण बालिका शिक्षा के प्रति बढ़ते रुझानों को आंकड़ों में देखा जा सकता है। साक्षर बालिकाओं की संख्या 1950-51 में 5 लाख तीस हजार थी जो 1993-94 में चार करोड़ 43 लाख हो गई। उच्च शिक्षा संस्थानों में सन् 1950-51 में प्रवेश लेने वाली महिलाओं की संख्या 40 हजार थी जो सन् 1993-94 में लगभग 16 लाख 64 हजार हो गई। तकनीकी और प्रौद्योगिक पाठ्यक्रमों में भी महिलाओं की संख्या में लगभग 13.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। स्वतन्त्र भारत में आज सभी क्षेत्रों में नारी को शिक्षा प्राप्त करने और जीवनयापन करने की स्वतन्त्रता है। स्वतन्त्र भारत में नारी शिक्षा के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए
(1) राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति (1958)
भारत की स्वतन्त्र सरकार ने श्रीमति दुर्गाबाई देशमुख की अध्यक्षता में सन् 1958 में नारी शिक्षा पर विचार करने के लिए एक समिति की नियुक्ति की जिसको ‘देशमुख समिति’ भी कहा जाता है। इस समिति ने अपना प्रतिवेदन जनवरी सन् 1959 में भारत सरकार के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए निम्नलिखित सुझाव दिए
- (i) एक निश्चित अवधि के अन्तर्गत नारी शिक्षा का प्रसार करने के लिए केन्द्र सरकार प्रयास करे।
- (ii) पुरुषों तथा स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था में पूर्ण समानता होनी चाहिए।
- (iii) ग्रामीण अंचलों में नारी शिक्षा के प्रचार करने का भार भी केन्द्र सरकार को अपने ऊपर लेना चाहिए।
- (iv) समस्त राज्यों में नारी-शिक्षा के प्रचार के लिए परिषदों की स्थापना हो। (v) केन्द्र सरकार को ही सभी राज्यों के लिए नीति तथा धन की व्यवस्था करनी चाहिए।
- (vi) शिक्षा के प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तरों पर बालिकाओं की शिक्षा के लिए अधिक सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक है।
- (vii) नारी शिक्षा का प्रचार केन्द्र सरकार को स्वयं करना चाहिए। इस देशमुख समिति का प्रभाव भारत सरकार पर हुआ और सन् 1959 में उसके द्वारा राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद की स्थापना की गई। इस परिषद का पुनर्गठन भी सन् 1964 में किया गया। इस परिषद ने समय समय पर महिला शिक्षा के सम्बन्ध में भारतीय सरकार को अनेक उपयोगी सुझाव दिए ।
(2) हंसा मेहता समिति के सुझाव (1962)
भारत सरकार द्वारा पूर्व में नियुक्त राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद् द्वारा ही ‘हंसा मेहता समिति’ की नियुक्ति की गई। इस समिति की अध्यक्षता श्रीमति हंसा मेहता को बनाया गया था। इस समिति के सुझाव इस प्रकार थे।
- (i) यह आवश्यक है कि पुरुषों तथा स्त्रियों के मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक कार्यों में भेदों के आधार पर बालकों तथा बालिकाओं के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों का निर्माण किया जाए।
- (ii) बालकों तथा बालिकाओं के पाठ्यक्रम में विद्यालय स्तर पर कोई तो अन्तर होना ही चाहिए।
(3) कोठरी आयोग द्वारा नारी शिक्षा के सम्बन्ध में सुझाव
भारतीय नारी शिक्षा के इतिहास में ‘कोठारी कमीशन’ (1964) का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस आयोग ने बालिकाओं की प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में अपने निम्नलिखित बहुमूल्य सुझाव देकर नारी शिक्षा को आगे बढ़ाया
आयोग के प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में सुझाव
- भारत के प्राथमिक विद्यालयों में बालिकाओं को भेजने के लिए जनमत तैयार किया जाना चाहिए। (2) भारत के संविधान के अनुरूप बालिकाओं की अनिवार्य शिक्षा का खुलकर प्रसार किया जाए।
- बालिकाओं को पुस्तकें, लेखन सामग्री आदि मुफ्त देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- शिक्षा के उच्च प्राथमिक स्तर पर बालिकाओं के पृथक् विद्यालय होने चाहिए।
- सरकार द्वारा 11-13 अवस्था वर्ग की बालिकाओं के लिए अल्पकालीन शिक्षा की व्यवस्था की जाए।
आयोग के माध्यमिक शिक्षा के सम्बन्ध में सुझाव
- बालिकाओं को छात्रवासों तथा यातायात की सुविधाएं भी दी जानी चाहिए।
- माध्यमिक स्तर पर बालिकाओं के लिए पृथक विद्यालयों की स्थापना होनी चाहिए।
- विद्यालयों में बालिकाओं को छात्रवृत्तियां दी जाएं और उनके लिए अल्पकालीन तथा व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
आयोग के उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में सुझाव
- उच्च शिक्षा में बालिकाओं को प्रशासन एवं व्यावसायिक प्रबन्ध की शिक्षा भी देनी चाहिए।
- बालिकाओं को छात्रवृत्तियां देकर तथा कम खर्चीले छात्रावासों में प्रवेश देकर उच्च शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
- इस स्तर की शिक्षा में छात्राओं को निर्धारित पाठ्यक्रम में विषय चयन की छूट होनी चाहिए।
- बालिकाओं के लिए पृथक् डिग्री कॉलेजों की स्थापना होनी चाहिए। कोठारी आयोग ने नारी-शिक्षा के सम्बन्ध में जो सुझाव दिए उनका देश भर में क्रियान्वयन किया गया। फलस्वरूप भारत में नारी शिक्षा का बहुत अधिक विस्तार हुआ।
पंचवर्षीय योजनाएँ और नारी शिक्षा
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं का उद्देश्य बहुमुखी उन्नति करना रहा है। इन योजनाओं में नारी शिक्षा के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। पंचवर्षीय योजनाओं में नारी-शिक्षा के विकास के सम्बन्ध में जिन प्रमुख क्षेत्रों/ विषयों पर ध्यान दिया गया, वे निम्नलिखित हैं
ह्वेनसांग के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- कॉलेजों में अध्यापिकाओं के प्रशिक्षण में पर्याप्त सुधार हुआ है।
- भारत में छात्राओं को उच्च शिक्षा स्तर तक व्यक्तिगत रूप में परीक्षाओं में सम्मिलित होने की आज्ञा प्रदान करके नारी शिक्षा को विस्तार दिया गया है।
- शिक्षा विभाग ने पत्राचार पाठ्यक्रमों द्वारा नारी शिक्षा को आसान और लोकप्रिय बनाया तथा नारियों को शिक्षण व्यवसाय में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया।
- केन्द्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में अनुसन्धान, तकनीकी, विज्ञान, मानविकी आदि क्षेत्रों में पुरुषों के समान ही महिलाओं को भी छात्रवृत्तियां दी जाने की व्यवस्था की गई है।
- भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के कार्य करने वाली अध्यापिकाओं के लिए विशेष भत्ता योजना को कार्यरूप दिया गया है।
- भारत सरकार को नारी शिक्षा के लिए परामर्श देने के लिए राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद् की स्थापना करके नारी शिक्षा सुधार के लिए एक ठोस शुरुआत की गई।
- भारत के प्रत्येक राज्य में बालिकाओं की शिक्षा की देख-रेख करने के लिए विशेष योजना बनाकर कार्य करने पर बल दिया गया।
- छात्राओं में खेलों के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए सरकार द्वारा विशेष सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।
- आयोग के सुझावों के अनुसार बालिका के छात्रवासों का निर्माण हुआ है।
- महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक बनाने के लिए पंचवर्षीय योजनाओं में हर सम्भव प्रयास भारत सरकार ने किया है।
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