सुमेरिन सभ्यता में विज्ञान की प्रगति – विश्व सभ्यता के सम्पूर्ण इतिहास में सुमेर के निवासी, लेखन-कला का आविष्कार करने वाले पहले लोग थे। मानव की स्मृति भ्रमशील है अतः विवाद उत्पन्न होने पर स्थायी साक्षी की आवश्यकता पड़ी। धीरे-धीरे इन लोगों ने अनुभव किया कि मात्र किसी के कह देने से ही किसी वस्तु के स्वामित्व का निर्णय करना उचित नहीं अतः साम्पत्तिक अधिकारों के प्रत्यक्ष सहायक के रूप में प्रस्तुत करने लायक दस्तावेज अनिवार्य होते गये। और एक क्रमशः जटिलता की ओर अग्रसर समाज में लेखन कला की सहज उत्पत्ति हुई। लेखन कला के उत्पन्न होने पर इतिहास का जन्म भी अपरिहार्य था।
लिपि के अतिरिक्त सुमेर के लोगों ने ही कुम्हार के चाक और पहियों का आविष्कार किया था। ये दोनों खोजें भी क्रान्तिकारी महत्व को थीं। कल्पना कीजिये यदि आज बीसवी सदी की सभ्यता में से केवल पहिये को निकाल दिया तो क्या यह सभ्यता जड़ होकर पुनः नवपाषाण काल के दरवाजे पर खड़ी नहीं हो जायेगी ? वास्तव में सम्पूर्ण विश्व को सुमेरियनों की इस खोज के लिये आभार मानना चाहिये।
सुमेरियन सभ्यता की कृषि तथा पशुपालन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
सुमेर के प्राचीन विद्वानों ने 30 दिन के एक महीने और 354 दिन के वर्ष का निर्धारण चन्द्रमा की गति के आधार पर किया। संवत् का उन्हें ज्ञान नहीं था। दो मौसमों गर्मी (इमिश) और जाड़ा (इन्तिन) के हिसाब से जीवन की गतिशील करते थे। गणना की सुमेरियन प्रणाली लगभग षदाशमिक थी- 1, 10, 60, 600, 3600 आदि। विद्यालयों में गणित के पाठ्यक्रम में गुणा, भाग, गुणनखण्ड, वर्ग, वर्गमूल, घन के सवाल पढ़ाये जाते थे तथा पाइथागोरियन संख्याओं, घनमूल और समीकरण भी शिक्षा के अंग थे।