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स्त्री शिक्षा हेतु यूनिसेफ की सिफारिशों का वर्णन कीजिये।

स्त्री शिक्षा हेतु यूनिसेफ की सिफारिशें निम्न प्रकार है

(1) लड़कियों की शिक्षा सम्बन्धी सुझाब

‘दुनियाँ के बच्चों की स्थिति 1007’ में यूनिसेफ ने लड़कियों की शिक्षा में प्रगति लाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए

  • (क) स्थानीय स्कूल प्रशासन और शिक्षकों को स्कूल के समय में लचीलापन लाने के लिए बढ़ावा देना।
  • (ख) विवाहित किशोरों और अविवाहित माता-पिता को कक्षाओं में आने की अनुमति देना।
  • (ग) स्कूल सुविधाओं को लिंग आधारित हिंग से सुरक्षित बनाना।
  • (घ) माता-पिता और समुदाय के नेताओं को सकूल के प्रबन्ध में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा देना। इसके अलावा इस बात पर ध्यान देना भी महत्त्वपूर्ण है कि स्कूल का पाठ्यक्रम बच्चों को लैंगिक समानता का महत्त्व समझाने में मदद करे।

(2) महिलाओं के स्तर में सुधार

महिलाओं को जमीन और संपत्ति के अधिकार देने के मामले में लैंगिक भेदभाव समाप्त करने के महत्वपूर्ण उपायों में निम्नलिखित उपाय शामिल होने चाहिए, लेकिन उन्हें सिर्फ इन्हीं उपायों तक सीमित नहीं रहना चाहिए –

  • (क) राष्ट्रीय कानूनों को अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार मानदण्डों के अनुरूप बनाना।
  • (ख) भूमि और सम्पत्ति अधिकारों में सुधार करके महिलाओं के प्रति भेदभाव मिटाना।
  • (ग) महिलाओं के सम्पत्ति के अधिकारों के उल्लंघनों का पता लगाने और उनका पर्दाफाश करने तथा सरकारों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संधियों के पालन की निगरानी के प्रयासों में अन्तर्राष्ट्रीय ऐजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों को शामिल करना।

शैक्षिक निर्देशन के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।

(3) कामकाजी परिवारों को सहारा देने में सरकार की भूमिका

सरकारों को ऐसे विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय कदम उठाने चाहिए जिनसे महिला उद्यमियों और श्रम बाजार में उनकी भागीदारी के लिए सशक्त और सार्थक माहौल बन सके। इन उपायों में शामिल हैं।

  • (क) रोजगार की बेहतर परिस्थितियाँ जुटाना ।
  • (ख) कैरियर विकास के अवसर पैदा करना।
  • (ग) सिर्फ लिंग के आधार पर वेतन में अन्तर समाप्त करना ।
  • (घ) बच्चों की देखभाल के लिए सुरक्षित, कम लागत की और उत्तम किस्म की सुविधा प्रदान करना।

(4) बेहतर आँकड़ों और विश्लेषण की आवश्यकता

यह साबित करने के लिए पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध हैं कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा काम करती हैं और कम वेतन पाती हैं। फिर भी पुरुषों और महिलाओं के श्रम के बारे में अलग-अलग आँकड़ों की कमी के कारण उनके बीच विषमता के अधिक विस्तृत अध्ययन में रुकावट आती है। सेक्स के आधार पर रोजगार और आमदनी के बारे में बेहतर आँकड़े उपलब्ध होने से नीतियां और कार्यक्रमों के लिए विश्लेषण में सुधार आएगा जिसका लाभ महिलाओं, बच्चों, परिवारों और पूरे देश को मिलेगा।

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