स्तरीकरण की विशेषताएँ लिखिए।

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स्तरीकरण की विशेषताएँ

स्तरीकरण की विशेषताएँ स्तरीकरण की परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् इसकी निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया जा सकता है –

(1) सामाजिक स्तरीयकरण की प्रकृति सामाजिक है। अर्थात, सामाजिक स्तरीकरण व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूरे समाज की भूमिका में देखा जाना चाहिए। अनेक व्यक्ति जब एक तरह के सामाजिक मूल्यों को स्वीकार करते हैं तथा परस्पर एवं सामाजिक व्यवस्था के प्रतिमान को स्वीकार करते हैं तभी स्तरीकरण संभव हो पाता है।

(2) विभिन्न सीमाओं में सामाजिक स्तरीकरण का स्वरूप भिन्न-भिन्न रहता है। अर्थात, इसकी प्रकृति सार्वभौम है, परन्तु स्वरूप सार्वभौम नहीं है। जैसे भारत में इसका स्वरूप जाति में परिलक्षित होता है, तो अन्य समाजों में यह वर्ग आदि के रूप में परिलक्षित होता है।

(3) सामाजिक स्तरीकरण एक सार्वभौम प्रक्रिया है। विश्व के प्रत्येक समाज में और सामाजिक विकास के लगभग प्रत्येक स्तर पर यह किसी न किसी रूप में अवश्य पाया जाता है।

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(4) सामाजिक स्तरीकरण के फलस्वरूप हमें सामाजिक असमानता देखने को मिलती है। अर्थात, समाज में मान, आदर, प्रतिष्ठा, आर्थिक अवसर आदि असमान ढ़ंग से वितरित रहते हैं।

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