फर्डिनैण्ड और ईसाबेला – कैस्टील और अरागान की शक्ति और संगठन का आधार मूरों के विरुद्ध उनका राष्ट्रीय एवं धार्मिक संघर्ष था जिसकी पूर्णाहुति ग्रेनाडा में मुरों की अंतिम पराजय से हुई। फर्डिलैण्ड और इजाबेला ने सन् 1492 ई. में ग्रेनाडा पर विजय प्राप्त कर स्पेन की राष्ट्रीय और धार्मिक एकता को साकार बनाया और शताब्दियों से पराजित एवं पराधीन स्पेन पूर्ण स्वतंत्र राज्य बन गया।
यद्यपि स्पेन को पिरेनीज की पहाड़ियाँ यूरोप से अलग करती है, जिसके फलस्वरूप स्पेन के निवासियों में यूरोपीय लोगों से कुछ विभिन्नताएं भी उत्पन्न हो गयीं थीं, परन्तु फर्डिलैण्ड और इजाबेला की विस्तार नीति ने स्पेन को यूरोप के निकट सम्पर्क में ला दिया। पन्द्रहवीं शताब्दी में जब नेपुल्स के राजवंश का अंत हो गया तो अरागान का एक राजकुमार वहां का राजा बनाया गया। फलतः कालान्तर में यह राज्य भी बढ़ते हुए स्पेन के राज्य का अंग बन गया। पुराने सम्बन्धों के आधार पर फ्रांस ने भी नेपुस के राज्य पर अपना दावा पेश किया। परन्तु फर्डिलैण्ड अपने इस नये अधिकार की रक्षा के लिए कृत संकल्प था।
परिणाम स्वरूप स्पेन और फ्रांस में नेपुल्स के राज्य के लिए संघर्ष छिड़ गया जिसमें फर्डिलैण्ड ने अपने सफल कूटनीति से पूर्ण विजय प्राप्त की और सन् 1504 ई. में फ्रांस के राजा लुई द्वाद्वश को बाध्य होकर नेपुल्स, सिसिली और सार्डिनिया पर स्पेन के अधिकार को स्वीकार करना पड़ा। नवार राज्य के अधीन पिरेनीज के दक्षिण स्थित भूभाग पर भी फर्डिनैण्ड ने सन् 1512 ई. में अपना आधिपत्य स्थापिक कर लिया। उधर जब फर्डिनेण्ड की पुत्री जोना का विवाह जर्मन सम्राट मैक्समिलियन और मेरी के पुत्र फिलिप के साथ हुआ तो अंत में नेदरलैण्ड्स का भाग्य भी स्पेन के साथ संलग्न हो गया। परन्तु स्पेन के शासक केवल यूरोप में ही राज्य विस्तार की सफल नीति से सन्तुष्ट न थे, प्रत्युत उनके तत्वावधान और संरक्षण में विख्यात नाविक कोलम्बस ने अमेरिका का अन्वेषण (1492ई.) किया जिसके फलस्वरूप पश्चिमी गोलार्द्ध में स्पेन के विस्तृत साम्राज्य की स्थापना हुई। वस्तुतः फर्डिलैण्ड और इजाबेला की सफल नीति ने स्पेन को इतना दृढ़ और शक्तिशाली बना दिया कि उनके पश्चात सोलहवीं शताब्दी में समस्त यूरोप में स्पेन का ही प्राधान्य रहा। यूरोप के दूसरे राज्य स्पेन की ओर भय, आशंका और सम्मान की दृष्टि से देखते थे।
फर्डिलैण्ड और इजाबेला के सम्मिलित शासन में निःसंदेह रूप से यूरोप स्पेन के गौरव की वृद्धि हुई परन्तु उनकी आन्तरिक शासन नीति देश के लिए बहुत हितकर न सिद्ध हो सकी। कैस्टील और अरागान का राजनीतिक एकीकरण अवश्य हो गया था परन्तु इससे शासन सम्बन्धी वैभिनय दूर न हो सका और दोनों राज्यों के नियम और विधान पूर्ववत बने रहे। इस पार्थक्य की भावना ने राष्ट्रीय संगठन में शैथिल्य उत्पन्न कर दिया था जिसके फलस्वरूप सोलहवीं शताब्दी में स्पेन के शासकों को अनेक आन्तरिक विद्रोहों और संघर्षो का सामना करना पड़ा।
ग्रेनाडा के मूरों के साथ स्पेन के दीर्घकालीन संघर्ष के कारण इस देश में संकुचित राष्ट्रीयता और घोर धार्मिक सहिष्णुता की नीति का प्रादुर्भाव हुआ। मूरों की पुराजय ने उनके राज्य का तो अंत कर दिया, परन्तु वहां के निवासी के रूप में शताब्दियों पुराना उनका सम्पर्क बना रहा। ये लोग कुशल किसान और सफल व्यापारी थे। इन्हीं की भांति व्यापार कुशल जाति यहूदियों की भी थी। इन दोनों ही जातियों ने देश के आर्थिक जीवन को समुन्नत बनाया था। परन्तु ग्रेनाडा के अंतिम संघर्ष ने स्पेन में घोर धार्मिक उत्तेजना और अहिष्णुता उत्पन्न कर दी। स्पेन का समस्त ईसाई समाज इस बात पर एकमत था कि मूर और यहूदी दोनों ही जातियाँ ईसाई धर्म स्वीकार करें अन्यथा उन्हें मृत्यु या देश निष्कासन का दण्ड दिया। जाए। इस नीति को कार्यान्वित करने के लिए एक विशिष्ट धार्मिक न्यायालय का अवलम्बन लिया गया जिसे इन्क्वीजिशन कहते हैं।
इस न्यायालय की शाखाएं देश के विभिन्न भागों में स्थापित थी जिनके द्वारा मूरों और यहूदियों का बलात् धर्म परिवर्तन प्रारम्भ हुआ। विरोध प्रदर्शन पर बहुत बड़ी संख्या में इन्हें जीवित अग्नि में जला दिया गया या अन्य घोर यातनाएं दी गयीं। अपने सम्मान और धर्म की रक्षा के लिए कुछ तो दूसरे देशों में भाग गये। ईसाइयों की इस नीति ने स्पेन के आर्थिक जीवन को छिन्न-भिन्न कर दिया, क्योंकि देश का अधिकांश व्यापार इन्हीं लोगों के हाथ में था। यद्यपि इन्क्वीजिशन मुख्यतः धार्मिक न्यायालय था, परन्तु मूरों और यहूदियों का मूलोच्छेद करके इसने राज्य के संगठन में पर्याप्त सहायता प्रदान की।
इल्तुतमिश के प्रारम्भिक जीवन एवं उसकी उपलब्धियों विजयों का वर्णन कीजिए।
महारानी इजाबेला सुन्दर, बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्री थी। सन् 1504 ई. में उसकी मृत्यु के बाद के शासन का एकाधिकार उसके पति फर्डिलैण्ड के हाथों में आया, जिसने सफलतापूर्वक बारह वर्षों तक और राज्य किया। पुत्र के अभाव में राज्य की उत्तराधिकारिणी उनकी ज्येष्ठ पुत्री जोना थी जो फिलिप से ब्याही थी। सन् 1506 ई. में फिलिप की भी मृत्यु हो गयी और जोना विक्षिप्त मस्तिष्क के कारण शासन के सर्वथा अयोग्य थी। फलतः सन् 1516 ई. में फर्डिलैण्ड की मृत्यु के उपरान्त जोना का सोलह वर्षीय पुत्र चार्ल्स प्रथम स्पेन के विस्तृत साम्राज्य का स्वामी हुआ जो यूरोपीय इतिहास में जर्मन सम्राट चार्ल्स पंचम के नाम से विशेष रूप से विख्यात है।
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