स्पेन के पतन के क्या कारण थे?

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स्पेन के पतन के प्रमुख कारण निम्न में-

( क) नीदरलैण्ड्स का विद्रोह

नीदरलैण्ड्स स्पेन के साम्राज्य का एक अंग था जहाँ से स्पेन को काफी आर्थिक लाभ होता था। सम्राट चार्ल्स पंचम जन्म से नीदरलैण्ड्सवासी होने के कारण वहाँ की समस्याओं को भली-भांति समझता था। उसने वहाँ के लोगों के प्रति कठोर नीति अपनाई किन्तु इस पर भी वहाँ के निवासियों में उसके प्रति स्वामिभक्ति बनी रही। उसके पश्चात् उसका पुत्र फिलिप द्वितीय सिंहासन पर बैठा। उसने वहाँ के व्यापारियों एवं उद्योगपतियों पर करों के भार बढ़ा दिये जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को काफी क्षति पहुँची। इसके अतिरिक्त राजा फिलिप द्वितीय एक धर्मनिष्ठ रोमन कैथोलिक था। उसने प्रोटेस्टेन्टों के दमन के लिए धार्मिक न्यायालयों का कठोरतापूर्वक प्रयोग किया जिससे कैल्विनवादी उसके घोर शत्रु हो गए। नीदरलैण्ड्स में इस समय सुधारों की आवश्यकता थी परन्तु राजा फिलिप द्वितीय ने उस ओर ध्यान न देकर ड्यूक ऑव अलवा के नेतृत्व में वहाँ एक विशाल सेना भेजी तथा लोगों पर करों का भार काफी बढ़ा दिया। परिणामस्वरूप वहाँ के लोगों ने विद्रोह कर दिया। नीदरलैण्ड्स के इस सफल विद्रोह ने स्पेन कोपोन्मुख बना दिया।

(ख) आर्थिक व्यवस्था

स्पेन के पतन का दूसरा प्रमुख कारण आर्थिक था। स्पेन की आर्थिक दशा बड़ी शोचनीय हो गई थी। वहाँ उपनिवेशों से प्राप्त होने वाली धनराशि का दुरुपयोग हो रहा था। स्पेन के शासक अपने गौरव एवं वैभव में उस धन का अपव्यय कर रहे थे। स्पेन में व्यापार एवं उद्योगों के विकास की ओर कोई ध्यान न दिया गया। इस कारण स्पेनी साम्राज्य की आर्थिक नींव बड़ी ही दुर्बल थी, यद्यपि बाह्य रूप से स्पेन बढ़ा धन-सम्पन्न दिखाई दे रहा था। स्पेन के लोग व्यापार एवं वाणिज्य को निम्न दृष्टि से देखते थे जिसके कारण अधिकतर विदेशी व्यापारी वहाँ के प्राकृतिक साधनों का उपयोग कर लाभ उठा रहे थे। वहाँ करों की दरों में वृद्धि करने के बावजूद भी राजकोष दिवालिया हो चला था। स्पेन की कृषि व्यवस्था में सुधार की ओर भी कोई विशेष ध्यान न दिया गया।

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(ग) राजा फिलिप द्वितीय का प्रशासन

राजा फिलिप द्वितीय का प्रशासन भी स्पेन के पतन के लिए उत्तरदायी था क्योंकि राजा फिलिप द्वितीय में अपने पिता सम्राट चार्ल्स पंचम की भाँति सन्तुलन एवं बुद्धिमत्ता न थी। वह स्वभाव से बहुत निर्दयी था। बाह्य नीति के सम्बन्ध में उसने रक्षात्मक नीति का अनुसरण किया किन्तु उसे इस नीति में थोड़ी सफलता ही प्राप्त हुई। अपने शासन के सम्पूर्ण काल वह इंग्लैण्ड से सामुद्रिक युद्ध करता

रहा। उसने इंग्लैण्ड की नाविक शक्ति को समाप्त करने के लिए विशाल ‘आर्मेडा’ नामक जहाजी बेड़े का निर्माण करवाया किन्तु अंग्रेजों ने राजा फिलिप द्वितीय के इस जहाजी बेड़े को नष्ट कर दिया। इस प्रकार राजा फिलिप द्वितीय अंग्रेजों के विरुद्ध अपने इस प्रयास में विफल रहा तथा इससे स्पेन की प्रतिष्ठा को काफी क्षति पहुँची।

(घ) पुर्तगाल का स्वतन्त्रता संग्राम

स्पेन के राजा फिलिप द्वितीय ने 1580 ई. में सैनिक शक्ति के द्वारा पुर्तगाल का स्पेनी साम्राज्य में संयोजन कर लिया था। परन्तु यह स्थायी नहीं सिद्ध हुआ क्योंकि यह पुर्तगाल के राष्ट्रीय गौरव के विरुद्ध था स्पेनी शासकों द्वारा पुर्तगाल के शोषण तथा उनकी दोषपूर्ण नीतियों के कारण वहाँ के लोगों में असन्तोष बढ़ता गया। अतः राजा फिलिप चतुर्थ के शासनकाल में 1640 ई. में पुर्तगालियों ने स्पेनी साम्राज्य के विरुद्ध स्वतन्त्रता संग्राम की घोषणा कर दी तथा व्रगान्जा का ड्यूक उनका नेता बना। फ्रांस तथा इंग्लैण्ड ने भी स्पेन के विरुद्ध पुर्तगालियों की सहायता की। फलस्वरूप 1665 ई. में विलाविसिओसा (Villa Viciosa) के युद्ध में स्पेनी सेना पराजित हुई तथा विवश होकर 1668 ई. में उसने पुर्तगाल को स्वतन्त्रता की मान्यता प्रदान की। इसके साथ ही साथ पुर्तगाल के समस्त उपनिवेश भी उसे वापस दे दिये गए। इस प्रकार पुर्तगाल की स्वतन्त्रता ने भी स्पेनी साम्राज्य के पतन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

(ङ) राजाओं की अयोग्यता

राजा फिलिप द्वितीय के पश्चात् स्पेनी सिंहासन पर फिलिप तृतीय (1598-1621 ई.). फिलिप चतुर्थ (1621-1665 ई.), चार्ल्स द्वितीय (1665-1700 ई.) आदि अयोग्य राजाओं का अधिकार रहा जिससे साम्राज्य के विभिन्न भागों में विघटनकारी शक्तियों वलवती होने लगीं। इन राजाओं की अयोग्यता एवं दोषपूर्ण नीतियों के कारण स्पेनी साम्राज्य के पतन की गति तीव्र हो उठी। फलस्वरूप नीदरलैण्ड्स एवं पुर्तगाल भी स्पेनी साम्राज्य से विलग हो गए। इन स्पेनी राजाओं का मूल्यांकन करते हुए किसी इतिहासकार ने उचित ही लिखा है कि “चाल्र्स पंचम एक योद्धा एवं राजा था। फिलिए द्वितीय केवल एक राजा था। फिलिप तृतीय तथा फिलिप चतुर्थ राजा भी नहीं थे और चार्ल्स द्वितीय में मानवता भी नहीं थी।”

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(च) स्पेन के साम्राज्य की विशालता

स्पेन का साम्राज्य काफी विशाल था। अतः प्रशासन की दृष्टि से इतने विशल साम्राज्य का शासन प्रबन्ध बहुत कठिन कार्य था। साम्राज्य की विशालता के कारण प्रशासन में अनेक बाधाएँ उठ खड़ी होती थीं जिनके समाधान के लिए अब स्पेन में शक्ति नहीं रह गई थी। स्पेन के शासकों की नीतियों के कारण ही प्रशासन काफी शिथिल हो गया था। इसके अतिरिक्त स्पेन का सैनिक पतन भ प्रारम्भ हो गया था जिसके पुर्तगाल स्वतन्त्र हो गया और स्पेन इस दिशा में कुछ न कर सका। यातायात एवं संचार की गति धीमी होने के कारण साम्राज्य के अन्तर्गत विभिन्न उपनिवेशों एवं प्रदेशों में सुदृढ़ प्रशासन स्थापित करना एक कठिन कार्य था।

इस प्रकार जहाँ एक ओर स्पेन में शिक्षा, साहित्य, कला आदि के क्षेत्र में प्रगति हो रही थी वहीं दूसरी ओर स्पेन पतन की ओर उन्मुख था। अमेरिका की खोज के पश्चात् यूरोप में स्पेन को जो गौरव प्राप्त हुआ था उसका आधार स्थायी न सिद्ध हुआ। कुछ ही समय पश्चात् स्पेनी साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया और राजा चार्ल्स द्वितीय के समय तक यूरोप की राजनीति में वह द्वितीय श्रेणी के राष्ट्रों में आ गया।

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