यदि लोक प्राधिकारी ने सूचना इलेक्ट्रॉनिक रीति में रखी है तो आवेदक इसी रूप में सूचना प्राप्त कर सकता है। किन्तु किसी मामले में यदि सूचना इलेक्ट्रॉनिक रूप में नहीं रखी गई है तो केन्द्रीय सूचना आयोग ने निर्णय दिया है कि ऐसी सूचना आवेदक के लिए इस रूप में तैयार नहीं की जाएगी। लोक प्राधिकारी के पास सूचना जिस रूप में उपलब्ध है उसी रूप में और वह भी सूचना प्रदत्ता के साधनों का गैर-आनुपातिक रूप से दोहन किए बिना उपलब्ध कराई जाएगी। अपील सं. 14/ आई. सी. (ए)/2006 के मामले में केन्द्रीय सूचना आयोग ने निर्णय दिया है कि आवेदक द्वारा मांगी गई सूचना बैंक की वार्षिक रिपोटों में विस्तार से दी गई और ये रिपोर्ट अपीलकर्ता को दे दी गई है। यदि यह सूचना इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में उपलब्ध नहीं है तो उसे अपीलकर्ता के लिए तैयार करनी जरूरी नहीं है।
जनजाति की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
जहाँ ऐसी सूचना इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में उपलब्ध है वहाँ कोई भी 50 रुपए प्रति फ्लॉपी/ डिस्केट के शुल्क का भुगतान करके पलपी या सी. डी. के रूप में उसे प्राप्त कर सकता है; किन्तु ऐसे मामले में, जहाँ सूचना इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में उपलब्ध नहीं है, संगठनों से यह अपेक्षित नहीं है कि ये उपलब्ध सूचना को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदले और आवेदकों को मुहैया कराएँ।