सूचना के अधिकार के अन्तर्गत तृतीय पक्ष से सम्बन्धित सूचना प्रदान करने के सम्बन्ध में क्या प्रावधान है?

पर व्यक्ति (तृतीय पक्ष) से सम्बन्धित सूचना प्रदान करना सूचना प्राप्ति में पहला पक्ष आवेदक है, द्वितीय पक्ष लोक प्राधिकारण/विभाग है जिससे सूचना माँगी गई है और सूचना का सम्बन्ध जिससे है यह तृतीय पक्ष (पर-व्यक्ति) कहलाता है। यदि आवेदन की जांच-पड़ताल करने पर यह पाया जाता है कि सूचना का पूर्ण अथवा आंशिक सम्बन्ध किसी तीसरे पक्ष के गोपनीय विश्वास से है तो ऐसी स्थिति में आवेदन को अधिनियम की धारा 11 के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार निपटाया जाएगा, जो इस प्रकार से हैं –

(1) सर्वप्रथम लोक सूचना अधिकारी आवेदन प्राप्त होने के 5 दिनों के भीतर सम्बन्धित तृतीय पक्ष को लिखित में सूचना देगा कि आपसे अमुक सूचना मांगी गई हैं।

(2) इसके बाद वह उसे लिखित अथवा मौखिक रूप से अपना पक्ष रखने का आग्रह करेगा जिस पर पत्र मिलने के 10 दिनों के अन्दर तृतीय पक्ष अपना विचार रखेगा। यदि 10 दिनों के अन्दर तृतीय पक्ष का कोई जबाब नहीं आता हो तो उस पक्ष को सुना हुआ ही मानी जाएगा। हालांकि इसके दुरुपयोग की सम्भावना है।

(3) तृतीय पक्ष को सुनने के बाद आवेदन मिलने के 40 दिनों के भीतर सूचना अधिकारी को सूचना देनी पड़ती है। यहाँ पर अधिनियम में कुछ अस्पष्ट व्याख्या नजर अती है क्योंकि उपरोक्त प्रक्रिया में 45 दिन (5 10 30) का समय लगता है परन्तु अधिकारी को 40 दिन में सूचना देने के लिए बाध्य किया गया है।

(4) सूचना अधिकारी तृतीय पक्ष को सुनने के बाद निर्णय लेता है परन्तु उसे ऐसा करते हुए निम्न दो कानूनी बाध्यताओं का ध्यान रखना पड़ता है

  • (1) यदि तृतीय पक्ष द्वारा रखे गये विचारों का सम्बन्ध विधि द्वारा संरक्षित व्यापार अथवा वाणिज्यिक गुप्त बातों से है तो सूचना देने से मना किया जाएगा।
  • (2) यदि सूचना का सम्बन्ध उपरोक्त कारण से नहीं है और उसके प्रकटीकरण से तृतीय पक्ष को होने वाले सम्भावित नुकसान की तुलना में लोकहित का कल्याण हो सकता है तो सूचना दी जा सकती है। अतः यह प्रावधान लोक सूचना अधिकारी से निर्णय लेने की अपेक्षा करता है।

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(5) यदि तृतीय पक्ष लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिए गए निर्णय से सहमत नहीं है। अर्थात् उसको यह लगता है कि उसके पक्ष को सुना नहीं गया है तो यह उसके निर्णय के विरुद्ध प्रथम अपील कर सकता है।

(6) यदि यह प्रथम अपीलाधिकारी के निर्णय से असन्तुष्ट है तो सूचना आयोग में अपील दायर कर सकता है।

(7) सूचना आयोग के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में भी उसे अपील करने का अधिकार प्राप्त है।

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