सूचना के अधिकार का महत्व स्पष्ट कीजिये।

सूचना के अधिकार का महत्व

सूचना की स्वतंत्रता के कई लाभ है। इसके कारण कई सार्वजनिक मामलों में आम लोगों की भागीदारी बढ़ पाई है और अब जानकारी प्राप्त कर आम जनता इतनी सशक्त हो पाई है कि वह जानकारी के आधार पर चुनाव कर सकती है और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग सही ढंग से कर सकती है। जानकारी प्राप्त करने की स्वतंत्रता के कारण सरकार की जवाबदेही में सुधार हुआ है, सही निर्णय लेने की शक्ति बढ़ी है और प्राचार से लड़ने के लिए एक मजबूत हथियार प्राप्त हो पाया है। यह जीविका और विकास सम्बन्धी मुद्दों के लिए अनिवार्य है वह भी तब जब गरीबी और सत्ताहीनता व्यापक हो। जानकारी का हक प्राप्त करने से आज जो लोकतंत्र केवल प्रतिनिधि के चुनाव तक ही सीमित था आज वहाँ लोगों की भागीदारी और हिस्सेदारी की बात की जा रही है।

सूचना का प्रदान तब महत्वपूर्ण बन जाता है जहाँ लोकतंत्र को स्थापित करना हो जहाँ कोई भी व्यक्ति केवल इस कारण से कि उसे सूचना उपलब्ध न हो पाई हो वह बेबस और लाचार न समझा जाए। किसी भी आम व्यक्ति का अधिकार है, वह चाहे गरीब या अनपढ़ हो, कि वह यह जान सके कि सरकार अपनी जिम्मेदारी ठीक प्रकार निभा रही है या फिर सरकारी नीतियाँ लोगों के हित में है या इन नीतियों को ईमानदारी से लागू किया जा रहा है।

देश के विकास और नीतियों की जानकारी आम लोगों को देने का अर्थ है आम लोगों को सशक्त करना कि वह विकास में योगदान दे पाएँ। यहाँ तक कि कमजोर वर्गों के लोग भी जानकारी से लाभ उठा सकते हैं। उदाहरणतः एक मजदूर यह जानकारी प्राप्त कर सकता है कि न्यूनतम वेतन दर कितनी तय की गई है और इस आधार पर वह पूरा दिन मेहनत कर इस वेतन के लिए माँग कर सकता है। सूचना का अधिकार मिल जाने से यह अपेक्षा की जा सकती है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा जो फैसले लिए जाते हैं उनमें कुछ सुधार होगा और निर्णय लेने की प्रक्रिया में जो गोपनीयता बरती जाती है वह हटाई जा सकती है जिससे पारदर्शिता बढ़ सके।

जानकारी का हक आजकल की वर्तमान स्थिति में अनिवार्य बन जाता है जब वैश्वीकरण, निजीकरण और उदार व्यापार नीतियों तथा आर्थिक नीतियों में हो रहे बदलाव के कारण आम जनता प्रभावित हो रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि आम लोग इस बारे में जाने कि किस नीति से किस प्रकार का प्रभाव आम जन जीवन पर पड़ सकता है। भारत एक बड़ा लोकतंत्र देश है और यह तभी सही ढंग से आगे बढ़ सकता है जब आम लोगों को वर्तमान स्थिति तथा राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक मामलों सम्बन्धी जानकारी से अवगत कराया जाए। सूचना का अधिकार के कानून द्वारा आज जनता अपने जानने के हक को वैधिक रूप से प्रयोग अपने बाकी अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।

सूचना का अधिकार एक मूल मानव अधिकार है। यह सभ्य समाज मे व्यक्ति के गौरव को बनाए रखने का साधन है। सूचना की जानकारी से कोई भी व्यक्ति समाज और देश के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपने योगदान दे सकता है। जानने के हक से बाकी अधिकारों को समझने और • उन्हें प्राप्त करने में सक्षम हुआ जा सकता है और व्यक्ति यह भी जान सकता है कि यदि उसके अधिकारों को उल्लंघन हुआ हो तो किसे दोषी ठहराया जा सकता है।

सूचना के अधिकार से लोकतंत्र स्थापित किया जाता है। यह देश के विकास के लिए अनिवार्य है। चुनाव के समय अक्सर जानकारी के अभाव में आम लोग ठीक प्रकार से अपने प्रतिनिधि को नहीं चुन पाते। राजनैतिक पार्टी का ब्यौरा हो या प्रतिनिधि के बारे में जानकारी कि क्या उसने कभी अपराध किया है या नहीं, इस प्रकार की जानकारी न होने पर किसी भी व्यक्ति के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि यह किसे वोट दें। कहा गया है कि यदि वोटर को सही जानकारी है तो वह सही प्रतिनिधि का चुनाव कर सकता है, और यदि प्रतिनिधि सही और जिम्मेदार हो तभी शासन अच्छा बन पायेगा। लोगों की सही और प्रभावी भागीदारी सभी हो सकती है जब उन्हें जानकारी हो कि सरकार किस प्रकार काम कर रही है तभी वे आने वाले “चुनाव में प्रतिनिधि को उसके काम के आधार पर चुन पाएंगे न कि संकीर्ण तथ्य जैसे धर्म, जाति, या वर्ग के आधार पर।

जानने के हक से एक ऐसे समाज का निर्माण हो पायेगा जो भ्रष्टाचार से परे हो, पारदर्शी हो, तथा जहाँ सरकार और जनता के बीच तालमेल हो। सूचना के आदान-प्रदान से सभी समस्याओं को हल किया जा सकता है। जनता का सरकार पर विश्वास हो तभी मतभेद कम होंगे और देश सही मानों में विकास कर पायेगा। जवाबदेही लोकतंत्र का एक मुख्य अंग है और सरकारी जवाबदेही तभी संभव है जब लोगों को सार्वजनिक निकाय के संदर्भ में जानकारी हो। जानकारी होने पर ही आम लोग सरकार से उसकी नीतियों, खर्चों इत्यादि का हिसाब मांग पायेंगे।

सूचना का अधिकार लोक केन्द्रित विकास में योगदान देता है। जानकारी एक प्रकार की शक्ति है जिसका दुरुपयोग संभव है। इसलिए आवश्यक है कि नियम, प्रक्रियाओं आदि को असान बनाया जाये ताकि पारदर्शिता बनाई जा सके और भ्रष्टाचार को मिटाया जा सके।

जानने के अधिकार से गरीबी उन्मूलन में मदद मिल सकती है तथा इससे समान आर्थिक विकास का अवसर दिया जा सकता है। अब तक नीतियाँ तथा कार्यक्रम बनाते समय आम लोगों की आवश्यकता पर ध्यान नहीं दिया जाता था क्योंकि यह नीतियाँ कुछ अफसरों द्वारा बनायी जाती रहीं जिन्हें जमीनी स्तर की सच्चाई की जानकारी नहीं रहती है। पर अब जानकारी प्राप्त कर गरीब वर्ग के लोग भी असमानता, गरीबी, बेरोजगारी आदि के खिलाफ संघर्ष कर सकते हैं।

जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।

जानने का हक भ्रष्टाचार को मिटाने का उपयुक्त उपाय है। भ्रष्टाचार के कारण विकास के लिए स्वीकृत पैसा कभी उस प्रायोजन से खर्च नहीं हो पाता। सरकारी सुविधाओं में अक्सर भ्रष्टाचार के कारण कमी पाई जाती है। जैसे सरकारी अस्पतलों में कभी दवाइयाँ नहीं मिल पाती या जाँच सुविधाये नहीं होती क्योंकि वहाँ किसी स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। अब सूचना का अधिकार प्राप्त होने के कारण इस तरह की घूसखोरी को मिटाया जा सकता है। जानने का हक मिलने के कारण अब नागरिक, नौकरशाही और लालफीताशाही से निबटने हेतु जानकारी प्राप्त कर भ्रष्टाचार को मिटाने में मदद कर सकते है। मीडिया भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। जैसे अभी पिछले दिनों अलग-अलग स्टिंग आप्रेशन कर मीडिया ने भ्रष्टाचार का खुलासा किया।

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