सूचना के अधिकार अधिनियम
सूचना के अधिकार अधिनियम के समय औचित्य को ध्यान में रखते हुए इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि इस अधिकार के अनुपालन में राष्ट्रहित एवं जनहित की अनदेखी न की जाए।
कुछ ऐसे हैं जिन्हें गोपनीय रखा जाना आवश्यक है। अतः धारा 8(1) में कुछ निम्नलिखित संवेदनशील मामलों को सूचना का अधिकार, अधिनियम से बाहर रखा गया है.
- सूचना जिसको सार्वजनिक करने से भारत की प्रभुता एवं अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, सामरिक, आर्थिक और वैज्ञानिक हित तथा विदेशी सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव और अपराध को उकसाने के बारे में नुकसानदेह हो।
- सूचना जिसके प्रकाशन के बारे में किसी अदालत या किसी न्यायपालिका ने मनाही की हो या जिसके प्रकटन पर अदालत की सौहीन होती हो।
- (3) सूचना जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य विधानमण्डल के विशेषाधिकारों का उल्लंघन होता हो।
- सूचना जिसके प्रकटन से वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक सम्पदा के आधार पर यदि प्रकटन से किसी तीसरे पक्ष की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होने की आशंका हो परन्तु जब तक कि सक्षम अधिकारी सन्तुष्ट नहीं हो जाता कि सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोक-हित का फायदा होगा।
- किसी व्यक्ति को विश्वास आश्रित रिश्ते-नाते में उपलब्ध सूचना जब तक कि सक्षम अधिकारी सन्तुष्ट न हो जाए कि विस्तृत लोकहित ऐसी सूचना के प्रगटाव की माँग करते हैं।
- विदेशी सरकार से विश्वास में प्राप्त हुई सूचना ।
- सूचना जिसके प्रगटाव से किसी व्यक्ति की सुरक्षा तथा जिन्दगी को खतरा हो या कानून लागू करवाने वाली एजेन्सी या सुरक्षा उद्देश्यों के लिए विश्वास में दी गई सहायता या सूचना के स्रोत की पहचान को खतरा हो।
- सूचना जिससे अपराध की जांच की प्रक्रिया में रुकावट या शंका तथा अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पैदा हो।
- मन्त्रिमण्डल के कागज पत्र जिसमें मन्त्रिपरिषद्, सचिवों तथा दूसरे अधिकारियों के विचार-विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हैं। परन्तु यह कि मन्त्रिपरिषद् के निर्णयों के पूर्ण या समाप्ति पर सभी निर्णय, निर्णयों के कारण और यह सामग्री जिस पर निर्णय लिए गए हैं, जनता को उपलब्ध कराए जाएंगे।
- सूचना, जो व्यक्तिगत सूचना के साथ सम्बन्ध रखती है, जिसका किसी गतिविधि या हित के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है या जिससे किसी व्यक्ति की एकान्तता पर अनावश्यक अतिक्रमण होता है। परन्तु केन्द्रीय/राज्य लोक सूचना अधिकारी अथवा अपीलीय प्राधिकरण सन्तुष्ट नहीं हो कि विशालतम जनहित में ऐसी सूचना का प्रकटीकरण न्यायसंगत है। परन्तु ऐसी सूचना जिसे संसद या राज्य विधानमण्डल को मना नहीं किया जा सकता, किसी व्यक्ति को मना नहीं की जाएगी।
इस धारा की उपधारा (2) के अनुसार यदि किसी सूचना के प्रकटन से लोकहित का समर्थन होता है तो शासकीय गुप्त अधिनियम, 1923 (धारा 19) के होते हुए भी सूचना प्रकट की जा सकती है। इसके अनुसार सभी प्रकार की ऊपरी छूटों 8 (1) को जनहित की तुलना में निरस्त किया गया है। अतः धारा 8(1) और धारा 8(2) सापेक्षित (Related) हैं।
अधिनियम की उपधारा (3) घटना की सूचना प्रदान करने की समय-सीमा की ओर इंगित करती है। इसके अनुसार केवल वही सूचना दी जा सकती है जो आवेदन की तारीख से किसी घटना वृत्तान्त या विषय से 20 वर्ष से पहले न घटित हुई हो। इसका सीधा सा अर्थ है कि केवल आवेदन की तारीख से 20 वर्ष पहले की घटना से सम्बन्धी सूचना को दिया जा सकता है। किसी घटना की गणना के समय के बारे में केन्द्रीय सरकार का निर्णय अन्तिम माना जाएगा।
अधिनियम अनुसूची में सम्मिलित सुरक्षा संगठनों पर लागू न होना
अधिनियम की धारा 24 के अनुसार यदि सूचना का सम्बन्ध दूसरी अनुसूची में सम्मिलित सुरक्षा संगठनों से है तो सूचना देने से मना किया जा सकता है परन्तु इन संगठनों को यह छूट पूर्ण नहीं है क्योंकि भ्रष्टाचार और मानव अधिकार हनन के मामलों में इन संगठनों को अधिनियम की परिधि में लगाया गया है। यदि मामला भ्रष्टाचार से सम्बन्धित है तो इन संगठनों से सीधी सूचना मांगी जा सकती है परन्तु मानवाधिकार के हनन के मामले की सूचना केन्द्रीय/राज्य सूचना आयोग की सिफारिश के बाद दी जा सकती है।
इन दोनों विषयों की सूचना आवेदन प्राप्ति के 45 दिन के भीतर दी जाएगी। यदि सूचना का सम्बन्ध जीवन अथवा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता से है तो सूचना 48 घण्टों में देनी होगी। केन्द्रीय स्तर पर दूसरी अनुसूची में निम्न सुरक्षा संगठन सम्मिलित है –
- सूचना ब्यूरो (Intelligence Bureau)
- कैबिनेट सचिवालय के अनुसंधान तथा विश्लेषण खण्ड (RAW)
- राजस्व आसूचना निदेशालय (Directorate of Revenue Bureau)
- केन्द्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (Central Economic Intelligence Bureau)
- प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate)
- स्वापक नियन्त्रण ब्यूरो (Narcotics Directorate)
- विमान अनुसन्धान केन्द्र (Aviation Research Bureau)
- विशेष सीमा बल (Special Frontier Force)
- सीमा सुरक्षा बल (B.S.F.)
- केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (C.R.P.F.)
- इण्डो तिब्बत बार्डर पुलिस (ITBP) :
- केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NGS)
- असम राइफल्स (Assm Rifles)
- सशस्त्र सीमा बल (Shastra Seema Bal)
- आयकर महानिदेशालय (अन्वेषण) (Director General of Income Tax)
- राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (National Technical Research Organisation)
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् सचिवालय (National Security Council)
- विशेष सुरक्षा बल (Special Protection Group)
- सीमा सड़क संगठन बोर्ड (BRDO)
- रक्षा अनुसन्धान तथा विकास संगठन (DRDO)
- वित्तीय आसूचना इकाई, भारत (Financial Intelligence Unit, India)
- केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation)
- राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency)
- राष्ट्रीय आसूचना ग्रिड (National Intelligence Grid).
प्रतिस्पर्धा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं स्वरूप की विवेचना कीजिए।
इसी प्रकार राज्य सरकारों ने भी नियम बनाकर कुछ सुरक्षा संगठनों को द्वितीय अनुसूची में सम्मिलित किया है।
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