सोलह संस्कार के विषय में संक्षेप में लिखिए।

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सोलह संस्कार – संस्कार का शब्द कृभ धातु में ‘ध’ प्रत्यय योग से बना है जिसका अर्थ शुद्धता से हैं। संस्कार की प्रमुख विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाए निम्न है

(1) जैमिनी

जैमिनी के अनुसार “संस्कार वह क्रिया है जिसके करने से कोई व्यक्ति या पदार्थ किसी कार्य योग्य हो जाता है।”

(2) वीर मित्रोदय

इसके द्वारा संस्कार को निम्नवत् परिभाषित किया गया है-“संस्कार, वह योग्यता है जो शास्त्र-सम्मत क्रियाओं को करने से उत्पन्न हो। दूसरे शब्दों में संस्कार द्वारा व्यक्ति को अपने शारीरिक, मानसिक व आत्मिक विकास का अवसर प्राप्त होता है।”

(3) तन्त्र वार्तिक

इसके अनुसार “संस्कार वे क्रियाएँ तथा रीतियाँ हैं जिनसे योग्यता प्राप्त होती है।”

सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न एवं लोकतांत्रिक गणराज्य” भारतीय संविधान की विशेषता है।

संस्कारों की संख्या

संस्कारों की संख्या के विषय में धर्मग्रन्थों में मतभेद है। जहाँ बौधायन गृह सूत्र एवं आश्वलय गृह सूत्र में इनकी संख्या 11 बतायी गई है, वहीं पारस्कर गृह सूत्र में 13 तथा बैसखानस गृह सूत्र में 18 बतायी गई है। महर्षि बाल्मीकि ने तो संस्कारों की संख्या 40 बतायी है। परन्तु अधिकांश विद्वानों के अनुसार संस्कारों की संख्या 16 है जो निम्नलिखित है

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