सिसरो की रचनाओं का वर्णन – सिसरो कानूनशास्त्र का प्रकाण्ड पण्डित और एक अच्छा राज-नेता था तथा कुछ समय के लिए रोम के कौंसुल के पद पर भी उसने कार्य किया। गणतंत्र का समर्थक होने के नाते वह
रोम के प्राचीन गणतंत्रीय स्वरूप को बनाये रखना चाहता था। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर उसने राजनीतिशास्त्र की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण दो ग्रन्थों की रचना की, जिनके नाम हैं
- डि रिपब्लिका व
- डि लेजिबस।
“डि रिपब्लिका’ के अन्दर सिसरो ने प्लेटो की तरह आदर्श राज्य के स्वरूप का वर्णन किया है किन्तु उसके आदर्श राज्य का स्वरूप प्लेटो के आदर्श राज्य के स्वरूप से भिन्न है। प्लेटो का आदर्श राज्य सैद्धान्तिक और आदर्शोन्मुख अधिक था जबकि सिसरो का आदर्श राज्य वास्तविकताओं के अनुकूल और व्यावहारिक है। उसने अपने आदर्श राज्य में रोमन गणतंत्र को ग्रहण किया और उसे ही पुनः प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया।
अरस्तू की क्रान्ति सम्बन्धी धारणा का वर्णन कीजिए।
‘डि लेजिक्स’ या ‘दी लॉज’ के अन्दर उसने अपने ग्रन्थ ‘डि रिपब्लिका’ में प्रतिपादित सिद्धान्तों का विस्तार से वर्णन और स्पष्टीकरण किया है। प्लेटो की भाँति सिसरो ने अपने इन दोनों ग्रन्थों को सम्वाद शैली में लिखा है।