सिकन्दर के भारत पर आक्रमण के प्रभाव निम्न क्षेत्रों में दिखायी पड़ता है
(i) नए मार्गों की खोज इस आक्रमण का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम था भारत और यूनान के बीच विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष सम्पर्क की स्थापना सिकन्दर के अभियान से चार भिन्न-भिन्न स्थल- मार्गों और जलमार्गों के द्वार खुले। इससे यूनानी व्यापारियों और शिल्पियों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ तथा व्यापार की तत्कालीन सुविधाएँ बढ़ीं।
(ii) यूनानी उपनिवेश की स्थापना आक्रमण के फलस्वरूप इस इलाके में और यूनानी उपनिवेश स्थापित हुए। उनमें अधिक महत्व के थे, काबुल क्षेत्र में सिकन्दरिया शहर, झेलम के तट पर बुकेफाल और सिन्धु में सिकन्दरिया इन क्षेत्रों को तो मौर्य शासकों ने जीत लिया पर इन उपनिवेशों का सफाया नहीं किया।
(iii) भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहन को उस रहस्यमय महासागर के भूगोल में गहरी दिल इस्पी हो गई जिसे उसने पहली बार सिन्धु के मुहाने पर देखा था इसलिए उसने अपने नए बेड़े को अपने मित्र निवार्कस के नेतृत्व में सिन्धु नदी के मुहाने से फरात नदी के मुहाने तक समुद्र तट पर पता लगाने और बन्दरगाहों को ढूंढने के लिए रवाना किया।
चन्द्रगुप्त मौर्य की पश्चिमी भारत की विजय का वर्णन कीजिए।
(iv) भारतीय इतिहास का तिथि निर्धारण यूनानी इतिहासकारों ने सिकन्दर के अभियान का तिथि सहित इतिहास भी लिख छोड़ा है जिससे हमें भारत में हुई घटनाओं का तिथि क्रम निश्चित आधार पर तैयार करने में सहायता मिलती है।
(v) राजनैतिक एकता को प्रोत्साहन सिकन्दर ने पश्चिमोत्तर भारत के छोटे-छोटे राज्यों को नष्ट कर दिया। उसके उस प्रयास ने पश्चिमोत्तर क्षेत्र में मौर्य साम्राज्य के विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया अर्थात् उसकी प्रेरणा से ही पश्चिमोत्तर भारत केन्द्रीय सत्ता के साथ जुड़ा।