शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा की आवश्यकता।

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शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा

देश और विदेशों में हुए विभिन्न अनुसंधानों, सम्मेलनों, परिसंवादों तथा संगोष्ठियों में यह बात सामान्य रूप से उठायी जाती रही है कि पर्यावरण शिक्षा के शिक्षण हेतु शिक्षकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाये। प्रश्न यह उठता है कि आखिर पर्यावरण शिक्षा के शिक्षण के लिए प्रशिक्षण की क्या आवश्यकता है?

वास्तव में पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है- पर्यावरणीय घटकों के प्रति संवेदनशीलता तथा पर्यावरणीय घटनाक्रमों के प्रति सकारात्मक अभिरुचि का विकास करना। यहां पर यह ध्यान रखना भी अनिवार्य होगा कि वर्तमान समय में रोजगार मूलक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जा रहा है और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वर्तमान समय में रोजगार क्षेत्र व्यापक नहीं है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण शिक्षा, अन्य विषयों के समक्ष रोजगार की दृष्टि से प्रभावशाली प्रतीत नहीं होती है। अतः अब प्रश्न यह उठता है कि इस परिस्थिति में ऐसा कोई साधन माध्यम हो जो समाज के सीधे सम्पर्क में हो, समाज के लिए आदर्श हो और जिसकी कही बातें समाज में प्रभावी हो सकती हो। शिक्षक यह माध्यम बन सकता है। क्योंकि वह छात्रों को समाज से जोड़ने वाली महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

माध्यमिक शिक्षा की अवधारणा एवं उद्देश्य की विवेचना कीजिए।

अब अब साधन (शिक्षक) है तो उसको समुचित प्रशिक्षण दिया जाये अन्यथा प्रशिक्षण के अभाव मे ‘पर्यावरणीय घटकों में होने वाले परिवर्तनों के हानिकारक दुष्परिणामों से भय उत्पन्न होने का खतरा: बनेगा जिससे पर्यावरण शिक्षा के मूल उद्देश्यों पर्यावरण या अपने परिवेश के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति का विकास नहीं हो पायेगा।

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