शिक्षा में समानता व उत्कृष्टता सम्बन्धी मुद्दे – समानता शब्द से तात्पर्य उन समान परिस्थितियों से है, जिनमें सभी व्यक्तियों को विकास के समान अवसर प्राप्त हो सकें और सामाजिक भेदभाव का अंत हो सके तथा सामाजिक न्याय के लक्ष्य की प्राप्ति भी सम्भव हो सके। प्रसिद्ध राजनीतिविद प्रो. लास्की ने लिखा है “समानता का अर्थ यह नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाए अथवा सभी को समान वेतन दिया जाए। यदि एक पत्थर ढोने वाले का वेतन एक प्रसिद्ध गणितज्ञ या वैज्ञानिक के समान कर दिया जाए तो इससे समाज का उद्देश्य ही नष्ट हो जायेगा। अतः समानता का अर्थ यह है कि विशेष अधिकार वाला वर्ग न रहे और सबको उन्नति के समान अवसर मिलें।” शैक्षिक अवसरों की समानता का तात्पर्य सभी के लिए समान शिक्षा नहीं है, बल्कि प्रत्येक बालक की शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक, नैतिक परिस्थितियों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करना है। इसका तात्पर्य राज्य द्वारा व्यक्तियों की शिक्षा के सन्दर्भ जाति, रूप, रंग, प्रान्तीयता एवं भाषा, धर्म आदि के मध्य भेदभाव न करने से भी है।
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शिक्षा के क्षेत्र में ‘समानता’ की अवधारणा को स्थापित करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किये गये हैं
- एक निश्चित अवधि तक भेदभाव रहित निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था।
- माध्यमिक स्तर पर विभिन्नीकृत पाठ्यक्रम व्यवस्था।
- उच्च स्तर पर सभी के लिए अपेक्षित उन्नति की व्यवस्था ताकि वे उचित योगदान देने में सक्षम हो सकें।
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