शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

शिक्षा का अर्थ, परिभाषा-शिक्षा का अर्थ संकुचित रूप में पुस्तकीय ज्ञान और पढ़ने-लिखने से लगाया जाता है परन्तु व्यापक रूप में शिक्षा का अर्थ सभी प्रकार के ज्ञान का संग्रह तथा मानव का चहुमुखी विकास है। शिक्षा को विविध विद्वानों ने अपने मतानुसार परिभाषित किया है, जिसका विवरण निम्नवत है-

“सांस्कृतिक विरासत एवं जीवन के अर्थ को प्राप्त करना ही शिक्षा है।”

बोगार्ड

“शिक्षा विकास की वह क्रिया है जिसके अनुसार मानव बचपन से प्रौढ़ावस्था तक अनेक तरीकों से अपने भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पर्यावरण से अनुकूलन करना सीखता है।”

टी० रेमण्ट

“शिक्षा का अर्थ संसार के सर्वमान्य विचारों को, जो व्यक्तियों के मस्तिष्क में स्वभावतः होते हैं, प्रकाश में लाना है।

सुकरात

“शिक्षा में मेरा अभिप्राय बालक के शरीर, मन और आत्मा में अन्तर्निहित सर्वोत्तम शक्तियों के सर्वांगीण उद्घाटन से है।”

महात्मा गाँधी

“शिक्षा एक प्रक्रिया है, जो बालक की आन्तरिक शक्तियों को बाह्य बनाती है।”

फ्रोबेल

(1) टैगोर के अनुसार, “शिक्षा का अर्थ मस्तिष्क को इस योग्य बनाना है कि वह सत्य को खोज कर समर्थ तथा उसे अपना बनाते हुए स्पष्ट कर दे।”

(2) टी. पी. नन के अनुसार, “शिक्षा बालक के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास है, जिसके द्वारा यह यथाशक्ति मानव जीवन को मौलिक योगदान कर सके।

(3) एडम्स के अनुसार, “शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है, जिसमें एक व्यक्तित्व दूसरे पर एक-दूसरे के विकास में सुधार लाने के लिए कार्य करता है। वह प्रक्रिया चेतन तथा प्रयोजनयुक्त होती है। इसके दो साधन शिक्षक का व्यक्तित्व तथा ज्ञान का प्रयोग होते हैं।

उद्देश्य –

  1. भाषा के लिखने, बोलने तथा व्याकरण एवं गणित का ज्ञान प्रदान करना।
  2. जटिल संस्कृति को समझने के लिए शिक्षा द्वारा ज्ञान प्रदान करना।
  3. शिक्षा द्वारा बच्चे में सामाजिक अनुकूलन की क्षमता पैदा करना।
  4. शिक्षा द्वारा आर्थिक अनुकूलन के लिए प्रशिक्षण ।
  5. शिक्षा द्वारा संस्कृति एवं सुधार एवं वृद्धि में योग देना।

आधुनिक शिक्षा की विशेषताएँ

(1) औपचारिक शिक्षा की प्रधानता

औपचारिक शिक्षा एक संस्थागत शिक्षा है। जिसकी व्यवस्था औपचारिक रूप से संगठित स्कूलों महाविद्याल द्वारा की जाती है। ऐसी शिक्षा अनेक विषयों में विभाजित होती है तथा प्रत्येक विषय का एक निश्चित पाठ्यक्रम होता है। औपचारिक शिक्षा विशेषीकृत होती है। इसका अर्थ है कि सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जिस प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता अधिक उपयोगी होती है, पाठ्यक्रम के माध्यम से उसी प्रशिक्षण पर अधिक बल दिया जाता है। यह शिक्षा व्यावहारिक अनुभव, तर्क तथा प्रयोग पर आधारित होती है।

(2) शिक्षा का अन्य संस्थाओं से सम्बन्ध

पूर्व में शिक्षा एक स्वतन्त्र संस्था थी जिसे राजनीति तथा आर्थिक नीतियों से अलग रखने का प्रयत्न किया जाता था। वर्तमान शिक्षा को सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था की उप-प्रणाली के रूप में देखा जाता है। इसके फलस्वरूप शिक्षा का सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक व्यवस्था से घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित हो गया है।

(3) स्तरीकरण का माध्यम शिक्षा

वर्तमान शिक्षा व्यक्तिगत योग्यता तथा प्रतिस्पर्धा की भावना से सम्बन्धित है। इसके फलस्वरूप जिन श्रमिकों और किसानों को आर्थिक सुविधाएँ। उपलब्ध नहीं हैं, उनके बच्चे या तो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं या सामान्य स्कूलों में ही शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं। इसके विपरीत साधन सम्पन्न परिवारों के बच्चे पब्लिक स्कूलों तथा व्यवसायिक संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त करने के कारण अधिक योग्य हो जाते हैं।

(4) शिक्षा से गतिशीलता में वृद्धि

आधुनिक शिक्षा की एक प्रमुख विशेषता गतिशीलता से इसका घनिष्ठ सम्बन्ध का होना है। व्यक्ति की आर्थिक या राजनैतिक दशा में परिवर्तन होने से उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा में होने वाले परिवर्तन को सामाजिक गतिशीलता कहा जाता है।

सहयोगी सामाजिक प्रक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।

(5) विशेषीकरण का साधन

शिक्षा और विशेषीकरण में एक गुणात्मक सम्बन्ध है। इसका तात्पर्य है कि समाज में जैसे-जैसे विशेषीकरण बढ़ता है, ज्ञान का प्रत्येक क्षेत्र बहुत से विशेषीकृत भागों में विभाजित होने लगता है। शिक्षा में विशेषीकरण बढ़ने के साथ ही समाज में विशेषीकरण पूर्व से भी अधिक बढ़ने लगता है।

(6) शिक्षा का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप

आधुनिक शिक्षा की एक प्रमुख विशेषता इसका धर्मनिरपेक्ष स्वरूप है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ मात्र यहीं नहीं है कि आज शिक्षा धर्म और नैतिकता से सम्बन्धित न होकर विज्ञान और तर्क पर आधारित है वरन् शिक्षा इस अर्थ में धर्मनिरपेक्ष है कि इसके द्वारा मानवतावादी और समताकारी मूल्यों को अधिक महत्व दिया जाने लगा है।

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