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शिक्षा हेतु संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

शिक्षा हेतु संवैधानिक प्रावधान

शिक्षा हेतु संवैधानिक प्रावधान भारतीय संविधान की 45 वीं धारा के अनुसार चौदह वर्ष की आयु के बच्चों को संविधान लागू होने के दस वर्ष के अन्दर अनिवार्य रूप से निःशुल्क शिक्षा देने का प्राविधान है। (1) संविधान की इक्कीसवीं धारा के अनुसार किसी धर्म विशेष के प्रचार के लिए किसी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता है।

  1. धारा 28 में कहा गया है कि पूरी तरह राज्य के धन से चलने वाली किसी शिक्षण संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जायेगी।
  2. धारा 2 में कहा गया है। कि सहायता प्राप्त या राज्य से मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के किसी सदस्य को उस संस्था द्वारा चलाये जा रहे किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है। धारा 28 के अनुसार अन्य धर्मों के अनुयायियों को उनकी सहमति के बिना धार्मिक अनुदेशन नहीं देना चाहिए।
  3. धारा 49 में कहा गया है कि राज्य प्रत्येक स्मारक या संसद द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित स्थान व वस्तुओं का संरक्षण करें।
  4. ” धारा 30 के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय को मनपसंद शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने व उनका प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त है व अनुदान देते समय इन विद्यालयों के साथ इस कारण भेदभाव नहीं किया जा सकता है कि वे धार्मिक समुदाय द्वारा संचालित है। पिछड़े वर्गों की शिक्षा सम्बन्धी संवैधानिक धाराएं व उनमें कही गई बातें निम्न हैं
  • (1) धारा 17- अस्पृश्यता निवारण व किसी भी रूप में अस्पृश्यता का प्रयोग वर्जित है।
  • (2) धारा 24-14 वर्ष से कम आयु वाले किसी बच्चे को किसी फैक्ट्री खान, या अन्य खतरनाक रोजगार में कार्य करने के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
  • (3) धारा 23 मनुष्यों के क्रय विक्रय व बेगार पर रोक लगी रहेगी।
  • (4) धारा 15- हिन्दुओं के सभी सार्वजनिक धार्मिक संस्थाओं के द्वार सभी पिछड़े वर्गों के लिए खुले रहेंगे।
  • (5) धारा 36- पिछड़े वर्गों के शैक्षिक व आर्थिक हितों के उन्नयन तथा उन्हें सामाजिक अन्याय व सभी प्रकार के शोषण से मुरक्षा मिलेगी।

अनुच्छेद 48 के अनुसार यदि राज्य चाहे तथा यदि यह उत्तरदायित्व को स्वीकार करने में सक्षम हो तो वह आधुनिक व वैज्ञानिक दृष्टि से कृषि व पशुपालन का संगठन करने, नस्लों का संरक्षण व सुधार करने हेतु कदम उठा सकता है।

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संविधान की 350 ए धारा में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य तथा राज्य में प्रत्येक स्थानीय निकाय प्राथमिक स्तर पर अल्पसंख्यक समूहों के बच्चों के लिए मातृभाषा में शिक्षा के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करेगा। धारा 351 में कहा गया है कि यह संघ का कर्तव्य होगा कि वह हिन्दी भाषा के प्रसार व विकास को प्रोत्साहित करे।

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