शक्तियों का वितरण संविधान में उल्लिखित सूचियाँ ।

शक्तियों का वितरण संविधान – संघात्मक पद्धति का दूसरा लक्षण केन्द्र तथा इकाइयों की सरकारों के मध्य शक्तियों का वितरण है। भारतीय संविधान के अन्तर्गत सम्पूर्ण शक्तियों को तीन वर्गों तथा शक्तियों में बाँटा गया है। प्रथम संघ सूची (Union List) कहलाती है जिसमें कुल 97 विषय हैं जिन पर क्षेत्राधिकार पूर्णरूपेण संघ सरकार का है। राष्ट्रीय महत्व के लगभग सभी विषय जैसे वैदेशिक मामले, प्रतिरक्षा, प्रतिरक्षात्मक उद्योग, रेल, हवाई यातायात, जहाजरानी, डाक-तार, सिक्के, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, बीमा, बैंक, नागरिकता, खनिज, जनगणना आदि इस सूची में आते हैं। दूसरी सूची राज्य सूची (State List) कहलाती है और इकाइयों से सम्बन्धित विषय इस सूची में सम्मिलित हैं।

उदाहरणस्वरूप, सार्वजनिक शान्ति और व्यवस्था, पुलिस, जेल, स्वास्थ्य, चिकित्सा, न्याय प्रशासन, कृषि, भूमि-प्रबन्ध, वन, स्थानीय स्वशासन आदि विषय इस सूची में हैं। तीसरी समवर्ती सूची (Concurrent List) कहलाती है जिसमें दीवानी एवं फौजदारी कानून तथा प्रक्रिया, विवाह, तलाक, आर्थिक तथा सामाजिक नियोजन, व्यापार संघ, श्रम समस्यायें, मूल नियन्त्रण, समाचार-पत्र आदि सम्मिलित हैं। इस सूची के विषयों पर संघ तथा राज्य दोनों सरकारों का समान क्षेत्राधिकार हैं।

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परन्तु संविधान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि समवर्ती सूची के किसी विषय पर केन्द्र तथा राज्य दोनों ही कानून बनायें तो केन्द्रीय कानून को राज्य के कानून के ऊपर प्राथमिकता दी जाएगी। इन तीनों सुखियों में से किसी में भी न आने वाली शक्तियों, जिन्हें अवशिष्ट (Residuary Powers) कहा जाता है, संविधान ने संघ सरकार को प्रदान की है। इस प्रकार संघ शासन का यह प्रमुख लक्षण भारतीय संविधान में विद्यमान है।

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