सर्जनात्मकता का महत्व
मुख्यतः सर्जनात्मकता मानव के क्रियाकलापों एवं निष्पति के लिए आवश्यक है। सर्जनात्मक का अर्थ वैज्ञानिक या कलात्मक सर्जन से ही नहीं है। सर्जनात्मकता किसी भी व्यक्ति की क्रिया में पाई जाती है। समाज में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के कार्य या व्यवसाय में सर्जनात्मकता का बोध होता है। बढ़ई लकड़ी से मनचाही कलात्मक मेज बना सकता है, चित्रकार मन चाहे रंगों से नवीन कलाकृतियों की रचना करता है। कवि, कविता की रचना करता है और गीतकार गीत की रचना करता है कहना यह है कि प्रत्येक व्यक्ति में सर्जनात्मकता की संभावनाएं होती है और उनका विकास किया जाना चाहिए।