संयुक्त राष्ट्र संघ पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।

प्रस्तावना-संसार में सदा ही युद्ध तथा शान्ति की आँख-मिचौली चलती रहती है, परन्तु मूल रूप से मानव शन्ति प्रेमी ही है। हाँ कभी-कभी देशों के बीच पारस्परिक झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि उनका अन्त युद्धों में ही होता है। ऐसे ही युद्धों तथा अन्य समस्याओं को सुलझाने के लिए विश्व के प्रायः सभी राष्ट्रों के सम्मिलित संघ को ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का नाम दिया जाता है। यह एक ऐसी संस्था है जिसमें संसार की प्रायः सभी अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं तथा पारस्परिक विवादों का समाधान शान्तिपूर्व बातचीत एवं आपसी सहमति द्वारा किया जा सके। इस संस्था द्वारा सम्पूर्ण मानवता को महायुद्धों की विभीषिका से बचाया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना

पच्चीस वर्षों में दो विश्वयुद्धों के कड़वे अनुभवों के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की आवश्यकता को महसूस किया गया। भविष्य में ऐसे युद्धों की पुनर्रावृत्ति को रोकने के उद्देश्य से विश्व की अनेक शक्तियों ने प्रयास आरम्भ किए। 26 जून, 1945 को सेन फ्रांसिस्को में 51 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में इसको अन्तिम रूप प्रदान किया गया। 24 अक्तूबर, 1945 को सही अर्थों में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। आज 51 राष्ट्रों से बढ़कर इनकी संख्या 185 तक पहुँच चुकी है। ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का मुख्य कार्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘न्यूयार्क’ शहर में स्थित है। इसके मुख्यतयः छः अंग हैं-सुरक्षा परिषद, महासभा, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, न्याय परिषद्, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय तथा सचिवालय ।

संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखाओं के कार्य

इस संघ की सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था ‘महासभा’ है क्योंकि किसी भी विषय पर ‘महासभा’ का निर्णय अन्तिम समझा जाता है। ‘सुरक्षा परिषद्’ दूसरी महत्त्वपूर्ण संस्था है तथा महासभा के पश्चात् सुरक्षा परिषद् को ही सबसे अधिक अधिकार प्राप्त है। यह विश्व शान्ति बनाए रखने का कार्य करती हैं। इसके 11 सदस्य होते हैं तथा अध्यक्ष क्रमशः उन ग्यारह सदस्यों में से ही चुना जाता है। कोरिया, कश्मीर एवं मिस्र के आक्रमणों को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद् ने ही ठोस कदम उठाए थे। पिछड़े हुए राष्ट्रों को आर्थिक सहायता देने के लिए विश्व बैंक से ऋण के रूप में पैसा प्राप्त किया जा सकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र संघ अनेक प्रयत्न कर रहा है।

लीग ऑफ नेशन्स का गठन

प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर अत्यन्त सहमे हुए मानव समाज ने इन युद्धों के भय को सदा के लिए समाप्त करने के लिए ‘लीग ऑफ नेशन्स’ अर्थात् राष्ट्र संघ नामक शान्ति प्रिय संस्था की स्थापना की। परन्तु यह ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर सकी एवं सन् 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध का विगुल बजाकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर एवं उसके समर्थकों ने इसका अस्तित्व ही समाप्त कर डाला। कोई भी राष्ट्र उसके निर्णयों को स्वीकार नहीं कर रहा था तभी तो जापान ने ‘मंचुरिया’ पर एवं इटली ने ‘अविसीनिया’ पर आक्रमण किया था। परिणामस्वरूप दूसरे विश्वयुद्ध में परमाणु बमों द्वारा भीषण नर-संहार हुआ तथा अमेरिका द्वारा जर्मनी के ‘हिरोशिमा’ तथा ‘नागासाकी’ शहरों पर परमाणु बम छोड़े गए जिसमें अपार जान-माल की हानि हुई। इस युद्ध को विनाशकारी रूप देकर सभी राष्ट्र यह समझ गए कि यदि तृतीय विश्व युद्ध हुआ तो मानव जाति का धरती पर अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। इसीलिए ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ की स्थापना हुई।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा का वातावरण बनाए रखना है। राष्ट्रों के बीच मैत्री, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय समस्याओं के समाधान हेतु यह निरन्तर प्रयासरत है। संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों की सार्वभौमिक शक्ति एवं समानता की स्थिति बनाए रखना, शान्ति, सुरक्षा तथा न्याय की क्षति न होने देने के लिए सदस्य राष्ट्रों में सद्भावना का वातावरण पैदा करना, सदस्य राष्ट्रों को किसी अन्य राष्ट्र की राजनीति का स्थिति में कोई हस्तक्षेप न करना भी है। संयुक्त राष्ट्र संघ की कुछ एजेंसियाँ मानव कष्टों को कम करवाने के लिए प्रयत्नशील है। ये एजेंसियाँ सूखा, बाढ़ एवं दूसरी प्राकृतिक विपदाओं से पीड़ित जनता को राहत एवं सहायता सामग्री भिजवाती है। ये एजेंसियाँ खाद्य-पदार्थों का उत्पादन बढ़ाने, नई दवाईयों की खोज करने एवं उन्हें जरूरतमन्दों तक पहुँचाने का भी कार्य करती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सराहनीय कार्य

पिछले करीब छः दशकों में संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व मंच पर सराहनीय भूमिका रही है। इस संस्था के द्वारा ही डच, इंडोनेशिया, अरब, यहूदियों एवं मिस्र के झगड़ों का बड़ी सफलतापूर्वक निर्णय लिया गया था। इस संस्था ने ही दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया के बंधन से आज़ाद कराया था। अफ्रीका में भारतीयों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार को भी इसी ने समाप्त करवाया था। सन् 1964 में इसी संस्था ने अपनी शान्ति सेना ‘साइप्रस ‘ भेजी। 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय पुनः इसी संस्था के प्रेक्षकों ने लड़ाई बन्द कराने में सहायता की तथा 1988 में इसी संस्था के अथक प्रयासों के कारण आठ वर्षों से चला आ रहा ईरान-ईराक युद्ध भी समाप्त हो गया।

पंचायती राज पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।

संयुक्त राष्ट्र संघ के असफलत कार्य

संयुक्त राष्ट्र संघ कभी-कभी अपने लक्ष्य में नाकामयाब भी रहा है। नवनिर्मित बांग्लादेश में पाकिस्तान द्वारा किए गए भयंकर नर-संहार के प्रति इस संस्था ने अपना कोई हस्तक्षेप नहीं किया तथा मौन खड़ा तमाशा देखता रहा। इस क्रूर मानव-विनाश को रोकने के लिए भारत ने भी प्रार्थना की परन्तु संस्था ने कोई ध्यान नहीं दिया। 17 फरवरी, 1979 से 4 मार्च 1979 तक चीन के वियतनाम पर क्रूर आक्रमण तथा घोर युद्ध के विषय में भी यह संस्था उदासीन ही रही।

उपसंहार-संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना जिस पवित्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुई की गई थी, वह उन सभी उद्देश्यों में कभी-कभी खरा उतरा है और कभी-कभी असफल भी हुआ है। इसके प्रभाव को और अधिक बढ़ाने के लिए इसकी कमियों की ओर ध्यान केन्द्रित करना जरूरी है। विश्व की पाँच प्रमुख शक्तियों को ‘वीटो’ का अधिकार है। रूस एवं पश्चिमी शक्तियाँ अपनी ‘वीटो शक्ति’ का मनचाहा प्रयोग करती है। आजकल यह संस्था शक्तिशाली राष्ट्रों के हाथ की कठपुतली बनती जा रही है तथा अधिकांश फैसले यह संस्था शक्तिशाली गुट के पक्ष में ही लेती है, जो सही नहीं है। परन्तु फिर भी इस संस्था का अपना विशेष महत्त्व है। हम आशा करते हैं कि आनेवाले समय में यह और भी कामयाबी के शिखर पर पहुँचेगी।

    Leave a Comment

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Scroll to Top