संविधान की धारा 356 के संदर्भ में एक राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?

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संविधान की धारा 356 – संविधान के द्वारा संघीय सरकार को यह उत्तरदायित्व सौंपा गया है कि वह प्रत्येक राज्य की बाहरी आक्रमण तथा आन्तरिक अशान्ति से रक्षा करेगा तथा यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के उपबन्धों के अनुसार चलायी जाती है। अनुच्छेद 356 के अनुसार, अगर राष्ट्रपति का राज्यपाल के प्रतिवेदन पर या अन्य किसी प्रकार से समाधान हो जाये कि ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो गयी हैं कि किसी राज्य का शासन संविधान के उपबन्धों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, तो वह संकटकाल की घोषणा कर सकता है।

मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य पर टिप्पणी लिखिये।

ऐसा संकट घोषित करने की विधि वही है जो प्रथम प्रकार के संकट की घोषणा के लिए है। मूल संविधान में यह व्यवस्था थी कि संसद के द्वारा एक बार में 6 माह की अवधि के लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गयी है कि संसद के द्वारा एक प्रस्ताव पास कर 1 वर्ष के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। जहाँ तक राज्य में राष्ट्रपति शासन को अधिकतम अवधि का सम्बन्ध है, पहले की भाँति अब भी यह अधिकतम अवधि तीन वर्ष ही है। संकट घोषित करते समय तथा प्रत्येक बार उसकी अवधि बढ़ाते समय संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है।

वर्तमान में विशेष व्यवस्था यह है कि 1 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए आपातकाल विद्यमान होने। को तभी जारी रखा जा सकता है जबकि चुनाव आयोग का उपर्युक्त परिस्थिति के का प्रमाण पत्र प्राप्त न हो जाये।

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